संजीव जैन's Album: Wall Photos

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*प्री वेडींग वास्तव में समाज के अंदर एक नया प्रदूषण हैं*

अवश्य पढें - अन्यथा आप भी तैयार रहें अपने जीवन को दुःखी करने के लिए!!

फिर पछतावत होत क्या जब चिड़ियां चुग जाये खेत -

प्री वेडिंग - यानी भारतीय संस्कृति के संपन्न घरेलु परिवारो में पश्चिमी संस्कृति का आगमन -

सम्माननीय बंधुवर

पिछले 1 - 2 वर्षो से देश में भारतीय संस्कृति से होने वाले विवाह समारोह में एक नया प्रचलन सामने आया हैं!!

जिसको वर्तमान में बडे परिवारो द्वारा आयोजित किया जा रहा हैं!!

जो समाज के अंदर रीढ़ कि हड़्ड़ी कहें जाते हैं!!

- उस प्रोग्राम का नाम हैं - प्री वेडिंग -

इसके तहत होने वाले दूल्हा - दुल्हन अपने परिवारजनों की सहमति से

शादी से पुर्व फ़ोटो ग्राफर के एक समूह को अपने साथ में लेकर

देश के अलग - अलग सैर सपाटो की जगह ,बड़ी होटलो,हेरिटेज बिल्डिंगों,समुन्द्री बीच व अन्य ऐसी जगहों पर जहाँ सामान्यतः पति पत्नी शादी के बाद हनीमून मनाने जाते हैं!!

वहां जाकर अलग - अलग और कम से कम परिधानों में एक दूसरे की बाहो में समाते हुए

वीडियो शूटिंग करवाते हैं!!

और फिर उसी वीडियो फ़ोटो ग्राफी को शादी के दिन एक बड़ी सी स्क्रीन लगाकर!!

जहाँ लड़की और लड़के के परिवार से जुड़े तमाम रिश्तेदार मौजूद होंते हैं!!

की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से उस कपल को वह सब करते हुए दिखाया जाता हैं!!

जिनकी अभी शादी भी नहीं हुई हैं!!

और जिनको जीवन साथी बनने के साक्षी बनाने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिये ही सगे संबंधियो और सामाजिक लोगो को वहा बुलाया जाता हैं!!

लेकिन यह क्या गेट के अंदर घुसते ही जो देखने को मिलता हैं!!

वह शर्मसार करने वाला होता हैं!!

जिस भावी कपल को हम वहा आशीर्वाद देने पहुँचते हैं!!

वह कपल वहां पहले से ही एक दूसरे की बाहो में झूल रहे होंते हैं!!

और सबसे बड़ी बात यह हैं की यह सब दोनों परिवारो की सहमति से होता हैं!!

इन सब सच्चाई को देखकर एक विचार मन में आता है!!

जब सब कुछ हो चुका हैं तो आखिर हमें यहाँ क्यों बुलाया गया हैं!!

यह शुरुआत अभी उन घरानो से हो रही हैं!!
ऐसे बड़े परिवारों के ऐसी शादियों को जो अपने पैसो के बल पर इस प्रकार की गलत प्रवर्तियो को बढ़ावा देकर समाज के छोटे तबके के परिवारो को संकट में डाल रहे हैं!!

मेरा समाज के उन सभी सभ्रांतजनो से अनुरोध हैं कि - अपने- अपने समाज में ऐसी पश्चिमी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले परिवारो से ऐसी प्रवृत्ति को बंद करने का अनुरोध करें!!

अन्यथा ऐसी शादियों का सामाजिक रूप से खुलेआम बहिष्कार करें!!

तब ही ऐसे गंदे प्रवर्तियो पर रोक लगना संभव हो सकेगा!!

अन्यथा ऐसी संस्कृति से आगे चलकर समाज का इतना बड़ा नुकसान होंगा जिसकी भरपाई कई पीढ़ियों तक करना संभव नहीं हो सकेंगा!!

और कुछ परिवारों की वजह से शादी जैसे पवित्र बंधन पर शादी से पूर्व ही एक बदनुमा दाग लगेगा!!

जिसका खामियाजा समाज के छोटे तबके को भुगतना पड़ेंगा!!

जिसकी परिणीति में शादी से पूर्व सम्बन्ध टूटना या शादी के बाद तलाक की संख्या में वृद्धि के रूप में होंगी!!

*जरूर सोचे एवं विचार करें की आप और हम इतने गंदे काम का समर्थन क्योंकर रहे हैं???*

*सुनने में आ रहा हैं कि कोरियोग्राफर के साथ मुम्बई के बहुत ही अच्छे घरानों की तीन शादी - शुदा