क्या यही है देश का विकाश,,जिसमे अन्नदाता जमीन पर खाना खा रहा है,,,और पूँजिपतियों पर सरकार इन्ही अन्नदाताओं के खुन पसीने के पैसे के टेक्स को लुटा रही है,,,अगर यह विकाश है जिसमे गरीब और गरीब होता जा रहा है और पूँजीपति मालामाल हो रहा है तो नही चहिए ऐसा विकाश,,,आप लोगों की क्या राय है???