नरवर- प्रेम ,साहस ,शौर्य ,कला, साहित्य ,
रहस्य , रोमांच , क्विदंति और दंतकथाओं
की भूमि।
आज पर्यटन की संभावनाओं के सम्बन्ध में आयोजित वर्कशॉप में नरवर जाना हुआ। अनंत संभावनाओं की इस भूमि को जितना जानने की कोशिश करता हूँ जानने की इच्छा उतनी ही और बढ़ जाती है।
नरवर चढ़े न बेड़नी, ऐरच छटे न ईंट।
गुदनोटा भोजन नई, बूंदी छपे न छींट।।
आठ कुँआ नो बाबड़ी , सोलह सो पनिहार।
जिनके आवत जात से गढ़ में रहत बहार।।