जिन्दगी में बहुत सारे प्रश्न
एसे होते है!!!
जिन का जबाब कीसी के पास नही होता
उन के जवाब ढूढने में
उलझने बड़ती है और उलझाती है
वक्त गुजरता जाता है एसे कई प्रशन जुड़ते चले जाते है
जिन्दगी की कशमकश बड़ती जाती है
जिन्दगी तो मेरी थी एक पल जीने को तरस गयी
फिर भी इन चलती सासों को सब ने जिन्दगी का नाम दे दिया
गम ने जीने नही दिया,जमाने नेरोने न दिया
हर कोई कुछ समझाने की होड़ मे है
और इधर जिन्दगी मुझे आज़माने की कोशिश में है
जिस खुशी की चाहत की ईच्छा थी मुझे
वो खुशी मुझ से दूर जाने की जिद्द में है
सुखे पत्तो की तरह बिछे है ख्वाब राहो में
लग रहा है जेसै पतझड़ का मौसम हो
एक एक जख्म हरा होता है यादो के सहारे
जिस के लिये न कोई मरहम है,न कोई दवा
बस यही सोच के खामोश हूॅ
सब यही रह जायेगा!!!
सब यही छोड़ कर एक दिन निकल जाना है