कर्तव्य
एक वकील थे । उनकी वकालत खूब चलती थी ।
एक बार वे एक हत्या का मुकदमा लड़ रहे थे,
तभी गांव में उनकी पत्नी बहुत बीमार हो गई।
बीमारी गंभीर थी, इस कारण वकील साहब गांव पहुंच गए ।
वे अपनी पत्नी की देखभाल में लगे हुए थे,
इसी बीच मुकदमे की तारीख पड़ी । वकील
साहब चिंता में पड़ गया ।
अगर वे पेशी पर नहीं पहुंचे तो उनके मुवक्किल को फांसी की सजा हो सकती थी ।
पति को असमंजस में पड़ा देख
पत्नी ने कहा , " आप मेरी चिंता न करें। पेशी पर शहर जरुर जाएं। भगवान सब अच्छा करेंगे ।
"मुकदमा लड़ने के लिए वकील साहब दुखी मन से शहर चले गए ।
अदालत में मुकदमा पेश हुआ । सरकारी वकील ने दलील देकर यह साबित करने की कोशिश की कि मुलजिम कसूरवार है और इसके लिए फांसी से कम कोई सजा नहीं हो सकती है।
वकील साहब बचाव पक्ष की ओर से बाहस करने लगे ।
थोड़ी देर बाद उनके सहायक ने एक टेलीग्राम (telegram) लाकर उनके हाथ में दे दिया ।
वकील साहब कुछ क्षण के लिए रुक गए।
उन्होंने तार पढ़कर अपने कोट की जेब में रख लिया
और फिर बाहस करने में लग गए । अपनी बहस में उन्होंने यह साबित कर दिया कि उनका मुवक्किल निरपराध है और उसे रिहा कर दिया जाए ।
बहस के बाद मजिस्ट्रेट ने अपना फैसला सुनाया, "मुलजिम बेकसूर है इसे छोड़ दिया जाए ।
" मुवक्किल, उसके साथी और दूसरे वकील मित्र अदालत के बाद बधाई देने के लिए वकील साहब के कमरे में आए।
वकील साहब ने अपने मित्रों को वह तार दिखाया ।
तार में लिखा था-" आपकी पत्नी का देहांत हो गया है।"
इसके बाद वकील साहब ने अपनी सारी बातें बतादी ।
इस पर उनके मित्रों ने कहा आपको अपनी बीमार पत्नी को छोड़ कर नहीं आना चाहिए था।
वकील साहब ने कहा, " दोस्तों अपनत्व से बड़ा कर्तव्य होता है और कर्तव्य निभाने से ही असली सुख प्रप्त होता है।"
वह वकील थे - भारत की एकता और अखंडता के निर्माता लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ।