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सामूहिक बलात्कार, हत्या और फिर वही उबाल, वही सवाल...
डॉ. दीपक राय, समाचार संपादकीय.
प्रियंका रेड्डी एक पशु चिकित्सक यानी वेटेरनरी डॉक्टर थीं। वे रात रात साढ़े 9 बजे अपनी स्कूटी से अस्पताल से घर लौट रही थीं। घटना तेलंगाना राज्य के रंगा रेड्डी जिले की है। रास्ता कोई आम नहीं, बेंगलुरू-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) था। रास्ते में उनकी स्कूटी पंचर हो गई। उन्होंने बहन को फोन लगाकर बताया- "गाड़ी पंचर हो गई। आसपास कई ट्रक खड़े हैं।" इसके बात उनका फोन लगातार बंद आया। दूसरे दिन डॉ. प्रियंका का जला हुआ शव एक पुल के नीचे बरामद हुआ।
मेडिकल रिपोर्ट में प्रियंका से सामूहिक बलात्कार की पुष्टि हुई है। मतलब साफ है दरिंदों ने उससे बलात्कार किया फिर पेट्रोल या केरोसिन से ज़िन्दा फूंक दिया।
अब पुलिस ने एक ट्रक ड्राइवर और क्लीनर को पकड़ा है।
तेलेंगाना की पुलिस देश की सबसे हाई टेक मानी जाती है। इसे साइबराबाद पुलिस कहा जाता है। हैदराबाद, बेंगलुरू IT सिटी के रूप में ख्यात हैं।
लेकिन पुलिस कितनी भी अपडेट हो, कितने भी कैमरे लगवा दिए जाएं। ऐसी घटनाएं नहीं रोकी जा सकतीं। हमारे समाज में बहुत अच्छे - अच्छे लोग हैं। बहुत अच्छे - अच्छे ट्रक ड्राइवर भी हैं। लेकिन बहुत कम संख्या में हैवान भी हैं। इन्हीं कुछ हैवानों ने मिलकर प्रियंका को खत्म कर दिया।
सवाल यह है कि ऐसे हैवानों को कैसे पहचाना जाए? एक पल की प्यास के लिए बनने वाले शैतानों को कैसे समझाया जाए?
एक ही विकल्प है- पहचान होते ही इन्हें सख्त सजा दे दी जाए। खुले आम सजा दी जाए। जिनके अंदर वहशीपना पल रहा है, वो भी ऐसी सजा देखे। बस कानून में बदलाव की जरूरत है।
वरना क्या है, दिल्ली की घटना याद कीजिये। निर्भया को दिल्ली के सड़कों पर नोंचा गया था। 7 साल हो गए। वे दरिंदे अब भी जेल में 'मौज' कर रहे हैं। कोर्ट तारीख पे तारीख दे रही है। फांसी हुई तो, रिव्यु पिटीशन, उपचारात्मक याचिका, राष्ट्रपति याचिका। न जाने क्या क्या है अंग्रेजों के इस कानून में?
वक्त है कानून में बदलने का।
और हां...
डरने की जरूरत नहीं है। बेटियों को रात में घर से निकलने से मत रोकिए। उन्हें उड़ने दीजिये। उन्हें सिर्फ पढ़ाइये, लिखाइये नहीं, बंदूक के लायसन्स दिलवाइये। बेग में मिर्ची का स्प्रे रखवाईये।
कुछ शैतानों के अलावा समाज में अच्छे लोग भी हैं जो आपकी बेटियों का सम्मान करते हैं। लेकिन दुख इस बात का है कि कितने ट्रक ड्राइवर रहे होंगे, काश एक भी इंसानियत दिखा देता तो आज 27 साल की डॉ. प्रियंका ज़िंदा होती।
प्रियंका तुम्हें नमन, तुम्हारे सामने तो अभी पूरा जीवन पड़ा था, लेकिन तुम्हें हैवानियत के साथ दुनिया से रुख्सत कर दिया गया।
श्रद्धान्जलि
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