इस तस्वीर को जहाँ कुछ लोग मेरी सादगी से जोड़ रहे हैं तो वहीं इक्का दुक्का लोग मुझे यह भी बता रहे हैं की चप्पल पहन मैंने गार्ड ऑफ ऑनर ले परम्परा का पालन नहीं किया।
सच्चाई यह है की पुलिस के जवान भाई मेरे इंतेज़ार में बारिश में काफ़ी पहले से खड़े कर दिए गए थे - इसलिए मैं जिस रूप में था - सबसे पहले उनका सम्मान कर उन्हें मुक्त करना आवश्यक था।
और दूसरी बात की चप्पल जूतों का रिवाज अंग्रेज़ों द्वारा बनायी गयी दक़ियानूसी परम्परा है जिसे मैं नहीं मानता।
पिछली शासन द्वारा मुख्यमंत्री के हर दौरे पर दिया जाने वाली इस परम्परा को मैं जल्द से जल्द समाप्त करने को संकल्पित हूँ ताकि हमारे पुलिसकर्मी VIP रूढ़िवादिता में समय व्यर्थ करने की जगह वो समय जनता की सेवा में लगा सकें।