एक देहाती महिला ने दिन भर की कठोर मेहनत के बाद अपने परिवार के सामने भोजन की जगह भूसे का ढेर रख दिया। जब पति और बेटों ने झुंझलाकर इस अजीब हरकत का कारण पूछा तो उस महिला ने जवाब दिया, “मुझे लगता था कि तुम्हारा ध्यान इस तरफ़ जाता ही नहीं है कि तुम्हारे सामने खाना रखा जाता है या भूसा। बीस साल से मैं तुम लोगों के लिए खाना बना रही हूँ परंतु तुम लोगों ने मुझे कभी यह नहीं बताया कि तुम लोग भूसा नहीं खा रहे हो।” कुछ समय पहले घर से भागने वाली पत्नियों पर एक शोध हुआ कि उनके घर से भागने के पीछे सबसे बड़ा कारण क्या होता है? क्या आप बता सकते हैं वह कारण क्या था? “प्रशंसा का अभाव।” और मैं शर्त लगाता हूँ कि यही घर से भागने वाले पतियों के बारे में भी सच होगा। हम अक्सर अपने पति-पत्नी को यह बताने की ज़रूरत ही नहीं समझते कि हम उनसे प्रभावित हैं। मेरे ऑफिस के एक सदस्य ने अपने जीवन की एक घटना सुनाई जिसमें उसकी पत्नी ने उससे एक आग्रह किया था। उसकी पत्नी और अन्य महिलाएँ चर्च में एक आत्म-सुधार कार्यक्रम में शामिल हुए। एक दिन उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि वह उसकी छह कमियाँ बताए जिन्हें सुधारने से वह बेहतर पत्नी बन जाए। उसका पति यह सुनकर हैरान रह गया। उसने कक्षा के सामने कहा, “मुझे इस आग्रह से बड़ी हैरानी हुई।सच कहा जाए तो मैं बड़ी आसानी से उसे छह ऐसी बातों की सूची थमा सकता था जिनमें सुधार की ज़रूरत थी – और ईश्वर जानता है, कि वह ऐसी हज़ार बातों की सूची थमा सकती थी जिनमें मुझे सुधार की ज़रूरत थी – परंतु मैंने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय मैंने उससे कहा, ‘मुझे इस बारे में सोचने का समय दो और मैं तुम्हें सुबह इसका जवाब दे दूँगा।’ “अगली सुबह मैं बहुत जल्दी उठ गया और फूल वाले को फ़ोन करके उससे अपनी पत्नी के लिए छह गुलाबों का तोहफ़ा भिजवाने के लिए कहा जिसके साथ यह चिट्ठी लगी हो, ‘मुझे तुम्हारी छह कमियाँ नहीं मालूम, जिनमें सुधार की ज़रूरत हो। तुम जैसी भी हो, मुझे बहुत अच्छी लगती हो।’ “उस शाम को जब मैं घर लौटा तो क्या आप बता सकते हैं दरवाज़े पर किसने मेरा स्वागत किया : बिलकुल ठीक। मेरी पत्नी ने। उसकी आँखों में आँसू भरे हुए थे। यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि मैं इस बात पर बहुत ख़ुश था कि मैंने उसके आग्रह के बावजूद उसकी आलोचना नहीं की थी। “अगले रविवार को चर्च में उसने बाक़ी महिलाओं को यह घटना सुनाई और बहुत सी महिलाओं ने आकर मुझसे कहा, ‘इतनी बुद्धिमानी की बात हमने पहले कभी नहीं सुनी।’ तब जाकर मुझे सराहना की शक्ति का एहसास हुआ।”