शबाना जी का Accident हो गया बहुत दुःख हुआ, हम प्रार्थना करते हैं उनके शीघ्र वापस घर लौटने की, और वो निश्चित ठीक होंगी, सबकी दुआएँ जो हैं, पर क्या हम इस दुर्घटना से और जो आये दिन होती रहती हैं, कुछ सीख सकते हैं?
पुलिस के चालान से बचने के लिए तो हम आगे वाली सीट पर सीट बेल्ट बांध ही लेते हैं पर क्या हम अपनी ज़िंदगी को बचाने के लिए पीछे वाली सीट पर भी सीट बेल्ट नहीं बांध सकते हैं?
क्या करें हम तो इतने समझदार हैं अगर पुलिस चालान ना करें तो आगे की सीट पर भी कोई नहीं बांधे, और जैसे ही मौक़ा लगता है हम तुरंत खोल देते हैं, क्योंकि हमें अपनी ज़िंदगी से ज़्यादा प्यारे वो 100-500 रुपए हैं जो पुलिस हमारी ज़िंदगी बचाने के लिये, हमें समझाने के लिए, हमें अनुशासित करने के लिए करती है।
दोस्त, आपकी ज़िंदगी हमारे लिए बहुत क़ीमती है, आपके परिवार के लिए बहुत अनमोल है, आपके लिए बहुमूल्य है, बस ज़रा सा निर्णय “अपनी ज़िंदगी के लिए - पीछे की सीट पर भी सीट बेल्ट बांधे “