जो मिला है उसी में खुश रहना सीखो । खुशी क्या है ? खुशी नाम की कोई वस्तु है क्या ? जो आप बाजार जाकर खरीद सके। और मान भी लो कि आप बाजार से लेकर आए भी तो क्या वह सबके लिए एक समान हो सकती है । जिस चीज ,बस्तु या बात से आपको खुशी मिले जरूरी नहीं कि दूसरा उससे खुश हो हमारी हाथ की उंगलियां हमें सिखाती है कि दुनिया में सब एक समान नहीं है फिर क्यों हम दूसरों की तरह खुश रहना चाहते हैं।दूसरों की खुशियों पर अपनी निगाह लगाए रहते हैं । खुशी हमें कभी भी कहीं भी किसी भी अवसर पर प्राप्त हो सकती है । यह सब हमारी सोच पर निर्भर रहता है । हमारे पास जो है उससे हम किस प्रकार से खुश रह सकते हैं । वर्तमान में जीना सीखें , आज आपको जो खुशी मिली है उसे कल की खुशी से ना तोले ।बल्कि आज जो आने वाला है उसे संपूर्णता के साथ ग्रहण करना सीखे । अगर जीवन में दुख आए तो उसे आज आए हुए दुख की तरह लें उसकी तुलना पुराने दुख के साथ ना करें ।इस तरह आप जब सुख दुख दोनों को अपने अतीत से मुक्त कर देंगे तो आज का दुख सिर्फ आज का ही होगा , आज का सुख भी सिर्फ आज का ही होगा ताजा होगा । इसे संभव बनाने के लिए आपको अपना नजरिया बदलना होगा यदि आपने इस नजरिए को विकसित कर लिया तो सहज ही आनंद आने लगेगा।
हमारे पास जो है, जो भी मिला है उसी में खुश होकर आनंदित हो ।
संजीव जैन