जो है सो है ( खुश रहें )
"खुशी मेरी तलाश में दिन रात यूं ही भटकती रही
कभी उसे मेरा घर ना मिला कभी उसे हम घर ना मिले "।
आज हम जहां हैं , जैसे हैं , और जिस स्थिति में है उसमें हर हाल में खुश रहना सीखें ! खुशी क्या है ? खुशी मन की एक अवस्था का ही तो नाम है । इस भागदौड़ की जिंदगी में हर कोई खुशी चाहता है , हर कोई खुश रहना चाहता है पर सचमुच में क्या वह खुशी मिल पाती है । वैसी खुशी जो मासूम बच्चों की खुशी जैसी हो । हमने अपने ऊपर काम का इतना बोझ डाल लिया है उससे निकल ही नहीं पाते । महत्वकांक्षाएं हमारे अंदर इतनी गहरी पैठ बना चुकी है कि उनकी पूर्ति करते-करते कब समय निकल जाता है वह सोचने का समय ही नहीं मिल पाता। ऐसी दिशा में कोई कैसे खुश रह सकता है ।
खुश रहने के लिए सर्वप्रथम हमें चाहिए कि अपने अंदर एक सकारात्मक सोच को पैदा करें क्योंकि नकारात्मकता से हमारे मन व शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । ये ऐसा क्यों हो रहा हैं ? ये क्यों हुआ ? और यदि एेसा हो गया तो क्या होगा ? वह हो गया तो क्या होगा ?आदि इस प्रकार के विचार हमारे मन को विचलित करते हैं और हमें खुशी आनंद से दूर ले जाते हैं । इससे हमें हासिल तो कुछ नहीं होता बल्कि तनाव और बढ़ जाता है । इसलिए हमेशा हंसते मुस्कुराते रहें । हंसमुख व्यक्ति के आसपास सदा सभी लोग इकट्ठे हो जाते हैं जबकि दुःखी ओर निराश व्यक्ति से सब लोग किनारा कर लेते हैं ।
इसलिए हमें हर परिस्थिति में खुश रहना चाहिए । हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते हैं इनसे हमें निराश नहीं होना चाहिए बल्कि सामने आई हुई परिस्थितियों का सामना करना चाहिए , हमेशा मुस्कुराते हुए परम पिता परमेश्वर का आशीर्वाद समझकर आनंदित रहना चाहिए ।
दोस्तों कितना आसान है खुश रहना , और ऐ सिर्फ और सिर्फ हमारी सोच पर निर्भर है।