केसरी फ़िल्म देखी है आपने?
सारागढ़ी का इतिहास जानते है आप?
आप लोगों ने स्पार्टन वीरों की बहादुरी के किस्से भी उनकी " Battle of Thermopylae " में सुनी होगी ।
लेकिन आज से आप यह भी जान लें कि आधुनिक लड़ाईयों का जब भी जिक्र होता है तो " सरदार और टाक पोस्ट " पर मुट्ठी भर CRPF जाँबांजो के द्वारा लिखी गयी यह वीरगाथा उत्कृष्ट तथा विशिष्ट स्थान रखती है । के.रि.पु.बल उन बहादुरों को हर साल आज के दिन श्रद्धांजली देता है और ये दिन " शौर्य दिवस " के रूप में मनाया जाता है ।
ऱोज डे , प्रपोज़ डे , चॉकलेट डे ,वैलेंटाइन डे मनाने वाली हमारी पीढ़ी अगर इस दिवस के बारे में नहीं जानती तो इसमें हमारे लिए कोई बेहद आश्चर्य की बात नहीं है l पर न जाने क्यों हमें ये लगता है कि आप सबको ये जानकारी होनी चाहिए और जिस प्रकार पुराकाल में महर्षि सूत जी ने शौनकादिऋषियों को नैमिषारण्य स्थित अपने आश्रम में सत्यनारायण व्रत की कथा सुनाई थी उसी प्रकार आज मैं आपको शौर्य दिवस की कथा सुनाऊंगा l इस कथा को जानने के लिए आपको 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान गुजरात स्थित कच्छ के रण में स्थापित सरदार पोस्ट कि कहानी जाननी पड़ेगी l गुजरात के सीमावर्ती इलाके में स्थित 'सरदार पोस्ट और टाक पोस्ट ' की सुरक्षा के.रि.पु.बल (CRPF) के अधीन हुआ करती थी । पाकिस्तानियों को जब ये खबर मिली की यहां पर भारतीय सेना की जगह एक पुलिस बल निगरानी कर रहा है तो उन्होंने योजना बनाई की एक बेहद सशक्त हमले से इस इलाके को अपने कब्जे में ले लेंगें और यहीं से भारत की धरती पर कब्ज़ा करने का आरम्भ होगा । लेकिन आज़ से ठीक 53 साल पहले 9 अप्रैल 1965 को जो हुआ वह विश्व इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया । पाकियों ने सेना की एक पूरे ब्रिगेड ( 51वीं इंफेंट्री ब्रिगेड ) जिसमें 18वीं पंजाब बटालियन , 8वीं फ्रंटियर राइफल और 6ठीं बलूच बटालियन के लगभग 3500 सिपाही पूरे असलहे और गोलाबारूद के साथ मौजूद थे, इस बड़ी टुकड़ी ने " सरदार पोस्ट " और " टाक पोस्ट " पर अॉपरेशन " डिजर्ट हॉक " के तहत एक भयंकर आक्रमण किया l इन्होंने सोंचा था कि के.रि.पु.बल की मात्र दो कंपनियां ही यहां तैनात है और इनको पलक झपकते ही कुचलकर हिन्दुस्तानी सरज़मीं पर कब्ज़ा कर लेंगें l लेकिन विजय की कालजयी कथाएं संख्याबल से नहीं शौर्य से लिखी जाती हैं । के.रि.पु.बल की दो कंपनियों के मात्र 136 जवानों ने पाकिस्तान के पूरे ब्रिगेड को अपने सीमित हथियारों तथा गोला बारूद के बावजूद पोस्ट कब्ज़ा करने से रोका ही नहीं बल्कि पीछे खदेड़ दिया । उस रात 12 घंटे के दौरान पाकिस्तानी सेना ने तीन बार जोरदार हमला किया मगर हर बार हमारे जांबाजों ने उन्हें नाकाम कर दिया l इस दौरान पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा और वो अपने 32 जवानों और दो अधिकारियों की लाशें छोड़कर भाग गए , चार पाकिस्तानी सिपाहियों को हमने बंदी बना लिया l इस अद्भुद पराक्रम के दौरान हमारे 6 जांबाजों ने कर्तव्य के पथ में प्राणोत्सर्ग कर दिया किन्तु हमने पाकिस्तानियों को उनके मंसूबों में सफल नहीं होने दिया ।( पाकिस्तानियों के हथियार आज़ भी हमारे कब्जे में है और हमारे कादरपुर स्थित संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहे हैं )
इस महान बल के जांबाजों के शौर्य की न जाने कितनी अनकही और अनसुनी कहानियां मौजूद हैं l ये वही शौर्य है जो मध्य भारत के जंगलों की बारूद बिछी हुई धरती पर इस देश के संविधान की रक्षा कर रहा है, कश्मीर की बर्फीली सतह जहाँ शून्य से कई डिग्री कम तापमान में राइफल की स्प्रिंग का लोहा नाकाम हो जाता है वहां भी हमारे सिपाही का हौसला कमजोर नहीं पड़ता l ये वही शौर्य है जो चेतन चीता जैसे जांबाज को हौसला देता है कि गोलियों से छलनी शरीर और घायल आँख के बावजूद देश के दुश्मन का खात्मा करके ही दम लेना और मौत को चकमा देकर देश के लिए लड़ने के लिए फिर दोबारा खड़े हो जाना l इस शौर्य को नमन करना हम सभी का कर्तव्य है क्यों कि जब तक ये शौर्य है तभी तक ये देश है , और जब तक ये देश है तभी तक हम हैं ..... मुझे गर्व है कि इस महान बल के सदस्य के रूप में मैं इस शौर्य को धारण भी करता हूँ और नमन भी..... ,
शौर्य दिवस पर सभी शहीदों , जांबाजों और देशभक्तों को हृदय से नमन ...