दिल में दूसरों के लिए दर्द हो, कुछ मदद करने की भावना हो और सीमित साधनों से किस प्रकार से मदद की जाती है इसका जीता जागता उदाहरण पेश किया है सांवेर गांव के श्री लखन जी ने , जो स्वयं हम्माली करते हैं।
श्री लखन जी ने सांवेर गांव के गरीब मजदूर परिवारों के लिए 50 kg गेंहू और 500रुपये का किराना दिया।
"सच कहा है कि भगवान दूसरों की मदद करने की भावना देखता है न कि संख्या"
लखन जी को बहुत बहुत साधुवाद तथा इनबुक पुस्तकालय गांव सांवेर की प्रतिभा जी जैन का इनबुक नेटवर्क हार्दिक अभिनन्दन करता है जिन्होंने लखन जी जैसे लोगों को ऐसे संस्कार दिए हैं।