प्रत्येक व्यक्ति अपने कुछ विशिष्ट संस्कारों और धारणाओं के अधीन है । इसके चलते उसकी सोच दृण हो जाती है । अचानक किसी परिवर्तन की बात पर वह भड़कता है, आसानी से राजी नहीं होता या चाह कर भी खुद को बदल नहीं पाता , क्योंकि बदलाव से व्यक्ति के अहम को चोट लगती है।
हमारे विचारों में परिवर्तन ही किसी भी परिवर्तन का आधार है । हर व्यक्ति अपनी तरह से सोचता है, अनुभव करता है। सारा खेल हमारी सोच का है।
सोच सकारात्मक हो तो सब कुछ सही, अच्छा और सुंदर दिखाई देता है लेकिन अगर सोच नकारात्मक हो तो चारों तरफ उदासी का मंजर दिखाई देने लगता है ।
कभी भी नकारात्मक विचारों को खुद पर हावी ना होने दें।
सोच बदलने से हमारा जीवन बदल सकता है।