हर 23 अप्रैल को लोगों में किताबों के प्रति प्रेम बढ़ाने और उनके प्रति जागरूक करने के लिए विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है ।
पढ़ना किसे अच्छा नहीं लगता ,हर कोई पढ़ना चाहता है । बचपन में स्कूल से आरंभ हुई पढ़ाई जीवन के अंत तक चलती है, पर दुर्भाग्यवश आजकल पढ़ने की प्रवृत्ति लोगों में कम होती जा रही है। पुस्तकों से लोग दूर होते जा रहे हैं । आज सब कुछ हम इंटरनेट के सहारे पा लेना चाहते हैं , परिणाम स्वरूप इसके चलते लोगों की जिज्ञासु प्रवृत्ति और याद करने की क्षमता घटती जा रही है। बच्चों में तो यह विशेष समस्या है। पुस्तकें बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति, जिज्ञासु प्रवृत्ति, सहेजकर रखने की प्रवृत्ति और संस्कार रोपित करती है । पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती है बल्कि कला, संस्कृति, लोकजीवन, सभ्यता के बारे में बताती हैं।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए लोगों और किताबों की बीच की दूरी को पाटने के लिए यूनेस्को ने 23 अप्रैल 1995 से विश्व पुस्तक दिवस मनाने का निर्णय लिया है।
इन बुक नेटवर्क एक स्वदेशी सामाजिक नेटवर्क है और अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए पुस्तकों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक अभियान के अंतर्गत हर गांव हो मेरा अपना पुस्तकालय चला रहा है । जिसका उद्देश्य ही है की लोगों को किताबों के प्रति लगाव बढ़ें , क्योंकि किताबें ही इंसान की सच्ची मित्र होती है जो हर समय साथ निभाती है।