वैसे मां को शुक्रिया कहने का कोई दिन नहीं होता! नहीं भी कहोगे, तो वो खफा नहीं होगी।
वो बिना मतलब, तुम्हें मोहब्बत करती रहेगी। तुम्हारे आंसू पोछेगी। गुस्से में तुम्हारी बातें भी सुन लेगी।
तभी मुनव्वर राना लिखते हैं, ‘लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती।
भले ही दुनिया ने मां के ‘मर्दस डे’ मुकर्रर किया हो, लेकिन वह सब दिन और सब घंटों की है। उसकी धड़कन का हर पल आपके साथ गुजरता है। इन संदेशों को अपने काम में लाइए और दिल की बात को शब्दों में भेज दीजिए।