संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 2,501 of 15,066 in Wall Photos

मुझे शिकायत है ऐसी पत्रकारिता से

नई जानकारी है ,खतरनाक है ,शर्मनाक है
""मजदूरों ब्यथा बिकती है""

#Copied

आजकल सवेंदनाएं का मौसम उफान पर है ।
आजकल संवेदनाओ के केंद्र मजदूर बने हुए है ।

चारों ओर मजदूर चिंतकों का जमावड़ा सा लगा है ।
न्यूज़ चैनल्स इस मजदूर चिंतन के मठ बने हुए है ।

मीडिया में चारों ओर पैदल चलते ,
बच्चों को उठाये ,
सड़कों पर बैठे ,
फुटपाथ पर लेटे मजदूर ही दिखाई दे रहे हैं ।

इन चैनल्स के पत्रकार , कैमरामैन ,
फोटोग्राफर एक से एक मार्मिक स्टोरी
और फोटो की तलाश में हाईवे - हाईवे भटक रहे है ।

पत्रकारों में संवेदनशीलता तो इतनी बढ़ गयी है कि उज्जैन में एक गरीब लड़की की राशन की थैली
में से गेंहूँ लेकर
एक फोटोग्राफर ने सड़क पर बिखरा दिये ...
फिर उस लड़की को गेंहूँ बीनने को बोला ..
फिर उसका मार्मिक फोटो खींचकर
रुलाने वाला शीर्षक लगाकर अपने अखबार में छापा ...

बेचारा फोटोग्राफर
जिसे गरीबों के दर्द से खिलवाड़ कर
अपने घर का चूल्हा जलाना पड़ा ।

इंडिया टुडे ग्रूप का चैनल
आजतक को भी मजदूरो के दर्द से गर्भ ठहर गया है ।

सारा दिन चैनल पर मजदूरो की दर्द भरी कहानियाँ और दिखाये जाते है ।
संकट की इस घड़ी में इंडिया टुडे ग्रूप के
फोटोग्राफर देश भर से दर्दनाक ,
मार्मिक तस्वीरें खींचकर
अपने आका को भेज रहे है ।

अरुण पुरी इन तस्वीरों को देखकर
दुःख में डूब जाते है ।

अपने चैनलों पर इन तस्वीरों को चलाने के बाद
वो चाहते है कि दुनिया भर की
किसी भी मैगजीन या अख़बार को दर्द में डूबी

ये तस्वीरें लोगों तक पहुँचाना हो तो
वो इन तस्वीरों को ले सकते है ।

कितना बड़ा दिल है इंडिया टुडे ग्रूप का ।
वो जानते है कि दर्द किसी एक का नही होता ..
दर्द तो सबका साँझा होता है

इसलिये ये तस्वीरें दुनिया तक
पहुंचना ही चाहिये ।
बस एक छोटी सी शर्त है इनकी ।

इन फोटो पर इनका कॉपीराइट है

इसलिये अगर किसी को ये तस्वीरें
इस्तेमाल करनी है
तो मजदूरों की ये दर्द भरी तस्वीरें
उन्हें इंडिया टुडे ग्रूप की साईट से
खरीदना पड़ेगी ।

स्माल साईज फोटो यूज करने के
8000/- रुपये ,
मीडियम के 15 हजार
और लार्ज के 20 हजार रुपये

और अगर किसी ने इनसे खरीदे
बिना यूज कर ली तो
कॉपीराइट कानून के तहत कार्यवाही कर
ये कीमत वसूल ही लेंगे ।
बहुत बड़ा दिल है बेचारों का ।

कृपया ..कोई इन मजदूर चिंतकों से
ये उम्मीद ना करें कि
ये किसी प्यासे को एक बोतल पानी भी
पिलाएंगे ..
ये तो धंधे पर निकले हुए
वो दलाल है
जो लाशों की तस्वीरें की भी
सेल लगाकर पैसा कमाते है ।

उधर एक और महान आत्मा है ndtv ..
वो दो महीनें से गरीबों की
मदद के लिये चंदा माँग रहा है ।

गरीबों के नाम सबसे ज्यादा
यही लोग कर रहे है
जो दिन रात इनके दर्द में रोने का ढोंग करते है ।

इनका धंदा ही गंदा है ।

Ashish Retarekar