सोच सोच कर सोचें क्या हमारा दैनिक जीवन प्लास्टिक के बिना अधूरा है।क्या हम को यह नही महसूस हो रहा है कि हम आधुनिकता के नाम पर पर्यावरण को कितना नुकसान पहुँचा रहे है,हम आने वाली पीढ़ी को क्या दे कर जा रहे है।
मेरा अपने इनबुकर परिवार से विनम्र निवेदन है कि शुरुआत हम स्वयं से करे ,शपथ ले कि आज से हम सब प्लास्टिक और पोलिथिन का उपयोग नहीं करेगे।