संजीव जैन's Album: Wall Photos

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1.ट्यूबलाइट देख चुके तो मिलिए 1962 युद्ध के असली हीरो मेजर शैतान सिंह से
2.जब 120 सैनिकों ने मारा था 1300 चीनी सैनिक, हथियार खत्म थे तो भी
3.बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे शैतान सिंह, 37 की उम्र में शहीदभारत-चीन युद्ध के असली हीरो हैं मेजर शैतान सिंह, 120 भारतीय जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को ढेर किया
भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है ट्यूबलाइट, जिसमें यकीन के महत्व और भाईचारे का संदेश है. लेकिन इस युद्ध में भारत को हार का सामना करना पड़ा. खास बात ये है कि भारतीय जवानों ने बेहद कम संसाधन होने के बावजूद पूरा दम-खम दिखाया था. साल 1962 में हुए इस युद्ध में कई जाबांज अफसर अपनी कुर्बानी देकर अमर हो गए. ऐसा ही बहादुर थे मेजर शैतान सिंह.
शहीद मेजर शैतान सिंह भाटी
आइए बताते हैं इस जाबांज अफसर की पूरी दास्तां

शैतान सिंह 37 साल की उम्र में हुए देश पर कुर्बान
साल 1962 को इंडियन आर्मी के लिटमस टेस्ट के तौर पर याद किया जाता था. महज अपने जवानों के दम पर इंडियन आर्मी, न्यूनतम संसाधनों के बावजूद चीन की सेना से लड़ती रही.

18 नवंबर 1962 को मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में चार्ली कंपनी ने महज 120 जवानों के साथ,1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया और रेजांग ला की लड़ाई में चीनी सैनिकों को खदेड़ने में कामयाब रहे थे.

इस बटालियन में ज्यादातर सैनिक हरियाणा के रेवारी गांव के थे.

चीन के सेना का अचानक हुआ था हमला
चुशुल में मौजूद एयरफील्ड की रक्षा कर रही थी13वीं कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी. इसकी अगुवाई मेजर शैतान सिंह कर रहे थे. चुशुल को गंवा देने का मतलब था लद्दाख की सुरक्षा में सेंध, इस बीच 18 नवंबर की सुबह चीन के लगभग 5000 सैनिकों ने इस जगह पर हमला कर दिया. महज 120 भारतीय जवानों ने इनका सामना किया.

बहादुर जवान सिंहराम ने 10 को मारा
असलहा-बारूद खत्म होने के बाद भी भारत के जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया और ये काम मेजर शैतान सिंह की देख-रेख में ही अंजाम दिया गया. कई जवानों ने तो अपने हाथों से इन सैनिकों को मार गिराया. बताया जाता है कि रेज़ांगला की लड़ाई में बचे हुए जवानों में से एक सिंहराम ने बिना किसी हथियार और गोलियों के चीनी सैनिकों को मारना शुरु कर दिया.

चीनी सैनिक को बाल से पकड़ा और पहाड़ी से टकरा-टकराकर मौत के घाट उतार दिया. इस तरह से उसने दस चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.

120 जवानों में से 114 शहीद
भारत के इन 120 जवानों में से 114 जवान शहीद हो गए, पांच जवानों को चीन ने युद्ध कैदी के तौर पर गिरफ्तार कर लिया. एक जवान बाद में बच निकलने में कामयाब रहे. वहीं एक सैनिक को मेजर शैतान सिंह ने वापस भेज दिया, ताकि वह पूरे घटनाक्रम को दुनिया के सामने बयान कर सके.मेजर शैतान भी घायल हो गए उनको बचाने के लिए एक सैनिक ने उनके जख्मी शरीर को अपने शरीर के साथ बांधा और पहाड़ों में लुढ़कते हुए उन्हें एक सुरक्षित स्थान पर लेटा दिया, जहां उनकी मौत हो गई.

1963 की फरवरी में जब मेजर शैतान सिंह की बॉडी पाई गई, तब उनका पूरा शरीर जम चुका था और मेजर मौत के बाद भी अपने हथियार को मजबूती से थामे हुए थे.

मेजर शैतान को मिला परमवीर चक्र
शहीद होने के बाद परमवीर चक्र से नवाज़ा गया. मेजर शैतान सिंह और उनके 120 जवानों की याद में चुशुल के करीब रेज़ांगला में एक युद्ध-स्मारक बनवाया गया. हर साल 18 नवम्बर को इन वीर सिपाहियों को पूरा देश और सेना याद करना नहीं भूलती है. इसके अलावा ‘ए मेरे वतन के लोगों’ को लिखने वाले प्रदीप की प्रेरणा भी मेजर शैतान सिंह और उनके बहादुर साथी ही थे.