संजीव जैन's Album: Wall Photos

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~~लौकी की कीमत ~~
गरीब किसान के खेत में बिना बोये लौकी का पौधा उग आया। बड़ा हुआ तो उसमे तीन लौकियाँ लगीं। उसने सोचा, उन्हें बाजार में बेचकर घर के लिए कुछ सामान ले आएगा. अतः वो तीन लौकियाँ लेकर गाँव के बाजार में गया और बेचने के यत्न से एक किनारे बैठ गया।
गांव के प्रधान आये, पूछा , " लौकी कितने की है?"
" मालिक, दस रुपये की। " उसने दीनता से कहा। लौकी बड़ी थी। प्रधान ने एक लौकी उठायी और ये कहकर चलता बना," बाद में ले लेना। "
इसी प्रकार थाने का मुंशी आया और दूसरी लौकी लेकर चलता बना। किसान बेचारा पछता कर रह गया। अब एक लौकी बची थी। भगवन से प्रार्थना कर रहा था कि ये तो बिक जाये, ताकि कुछ और नहीं तो बच्चों के लिए पतासे और लइया ही लेता जायेगा।
तभी उधर से दरोगा साहब गुज़रे। नज़र इकलौती लौकी पर पड़ी देखकर कडककर पूछा , " कितने की दी ?"
किसान डर गया। अब यह लौकी भी गई। सहमकर बोला ," मालिक, दो तो चली गयीं , इसको आप ले जाओ। "
" क्या मतलब ?" दरोगा ने पूछा, " साफ़ - साफ़ बताओ ?"
किसान पहले घबराया, फिर डरते - डरते सारा वाक़्या बयान कर दिया। दरोगा जी हँसे। वो किसान को लेकर प्रधान के घर पहुंचे। प्रधान जी मूछों पर ताव देते हुए बैठे थे और पास में उनकी पत्नी बैठी लौकी छील रही थी। दरोगा ने पूछा,' लौकी कहाँ से लाये ?"
प्रधान जी चारपाई से उठकर खड़े हो गए , " बाजार से खरीदकर लाया हूँ। "
"कितने की ?"
प्रधान चुप। नज़र किसान की तरफ उठ गयी। दरोगा जी समझ गए। आदेश दिया," चुपचाप किसान को एक हज़ार रुपये दो , वार्ना चोरी के इलज़ाम में बंद कर दूंगा। " काफी हील-हुज्जत हुई पर दरोगा जी अपनी बात पर अड़े रहे और किसान को एक हज़ार रुपये दिलाकर ही माने।
फिर किसान को लेकर थाने पहुंचे। सभी सिपाहियों और हवलदारों को किसान के सामने खड़ा कर दिया। पूछा," इनमे से कौन है ?" किसान ने एक हवलदार की तरफ डरते-डरते ऊँगली उठा दी। दरोगा गरजा ," शर्म नहीं आती ? वर्दी की इज़्ज़त नीलाम करते हो। सरकार तुम्हे तनख्वाह देती है , बेचारा किसान कहाँ से लेकर आएगा। चलो, चुपचाप किसान को एक हज़ार रुपये निकलकर दो। " हवलदार को जेब ढीली करनी पड़ी।
अब तक किसान बहुत डर गया था। सोच रहा था, दरोगा जी अब ये सारा रुपया उससे छीन लेंगे। वह जाने के लिए खड़ा हुआ। तभी दरोगा ने हुड़का," जाता कहाँ है ? अभी तीसरी लौकी की कीमत कहाँ मिली ? " उन्होंने जेब से पर्स निकाला और एक हज़ार रुपये उसमे से पकड़ते हुए बोले , " अब जा , और आईन्दा से तेरे साथ कोई नाइंसाफी करे तो मेरे पास चले आना। "
किसान दरोगा को लाख दुआएं देता हुआ घर लौट आया, लेकिन सोचता रहा , ये किस ज़माने का दरोगा है।
Yesi bhi hai hamari Indian police.