संजीव जैन's Album: Wall Photos

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एक बात बताऊं आपको (वर्तमान समय की बात)
जब किसी की मृत्यु होती थी तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था। यही Isolation period था। क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है। यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया।

जो शव को अग्नि देता था उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक। उसका खाना पीना, भोजन, बिस्तर, कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे। तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात, सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।

तब भी आप बहुत हँसे थे। bloody indians कहकर मजाक बनाया था।

जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी।
जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके, कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है, इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने।
आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं। जब कोई भी बहू लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर, हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों, तब तक। खूब मजाक बनाया था।
आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं। Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं ।
पर शास्त्रों के उन्हीं वचनों को तो आपने गरियाया था और अपमानित किया था।
आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है।
याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को।
यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।
शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें।
लेकिन सब आपने भुला दिया।
आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और अपमानित करने में जो आनंद आता है शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता।
अरे समझो अपने शास्त्रों के level को जिस दिन तुम समझ जाओगे न तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा।
तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति के मूर्ख 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए।
अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो। उनको मानो। बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है। उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके।
लेकिन गाली मत दो उसको जलाने का दुष्कृत्य मत करो।
जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा वह शास्त्र वेद पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है correlate कर सकता है और समझा भी सकता है।
पता नहीं कि आप इसे पढ़ेंगे या नहीं लेकिन मेरा काम है आप लोगों को जगाना जिसको जगना है या लाभ लेना है वह पढ़ लेगा।
यह भी अनुरोध है कि आप भले ही किसी भी जाति/समाज से हों धर्म के नियमों का पालन कीजिये इससे इहलोक और परलोक दोनों सुधरेगा।

॥सर्वे भवन्तु सुखिनः सवेँसनतु निरामया:॥