Search in Albums
Search in Blogs
Search in Groups
Search in Musics
Search in Polls
Search in Members
Search in Members
Search in Questions
Search in Videos
Search in Channels
Show All Results
Home
Inbook Cafe
Questions
News
Videos
Groups
Blogs
Polls
Music
Home
Inbook Cafe
Questions
News
Videos
Groups
Blogs
Polls
Music
Albums
Search in Albums
Search in Blogs
Search in Groups
Search in Musics
Search in Polls
Search in Members
Search in Members
Search in Questions
Search in Videos
Search in Channels
Show All Results
Home
Inbook Cafe
Questions
News
Videos
Groups
Blogs
Polls
Music
संजीव जैन
's Album:
Wall Photos
Photo 11,046 of 15,237 in Wall Photos
Prev
Next
दिल को छू जाने वाली कहानी......#पगला
ऑफिस से निकल कर शर्मा जी ने
स्कूटर स्टार्ट किया ही था कि उन्हें याद आया,
.
पत्नी ने कहा था 1 किलो जामुन लेते आना।
.
तभी उन्हें सड़क किनारे बड़े और ताज़ा जामुन बेचते हुए
एक बीमार सी दिखने वाली बुढ़िया दिख गयी।
.
वैसे तो वह फल हमेशा "राम आसरे फ्रूट भण्डार" से
ही लेते थे,
पर आज उन्हें लगा कि क्यों न
बुढ़िया से ही खरीद लूँ ?
.
उन्होंने बुढ़िया से पूछा, "माई, जामुन कैसे दिए"
.
बुढ़िया बोली, बाबूजी 40 रूपये किलो,
शर्माजी बोले, माई 30 रूपये दूंगा।
.
बुढ़िया ने कहा, 35 रूपये दे देना,
दो पैसे मै भी कमा लूंगी।
.
शर्मा जी बोले, 30 रूपये लेने हैं तो बोल,
बुझे चेहरे से बुढ़िया ने,"न" मे गर्दन हिला दी।
.
शर्माजी बिना कुछ कहे चल पड़े
और राम आसरे फ्रूट भण्डार पर आकर
जामुन का भाव पूछा तो वह बोला 50 रूपये किलो हैं
.
बाबूजी, कितने दूँ ?
शर्माजी बोले, 5 साल से फल तुमसे ही ले रहा हूँ,
ठीक भाव लगाओ।
.
तो उसने सामने लगे बोर्ड की ओर इशारा कर दिया।
बोर्ड पर लिखा था- "मोल भाव करने वाले माफ़ करें"
शर्माजी को उसका यह व्यवहार बहुत बुरा लगा,
उन्होंने कुछ सोचकर स्कूटर को वापस
ऑफिस की ओर मोड़ दिया।
.
सोचते सोचते वह बुढ़िया के पास पहुँच गए।
बुढ़िया ने उन्हें पहचान लिया और बोली,
.
"बाबूजी जामुन दे दूँ, पर भाव 35 रूपये से कम नही लगाउंगी।
शर्माजी ने मुस्कराकर कहा,
माई एक नही दो किलो दे दो और भाव की चिंता मत करो।
.
बुढ़िया का चेहरा ख़ुशी से दमकने लगा।
जामुन देते हुए बोली। बाबूजी मेरे पास थैली नही है ।
फिर बोली, एक टाइम था जब मेरा आदमी जिन्दा था
.
तो मेरी भी छोटी सी दुकान थी।
सब्ज़ी, फल सब बिकता था उस पर।
आदमी की बीमारी मे दुकान चली गयी,
आदमी भी नही रहा। अब खाने के भी लाले पड़े हैं।
किसी तरह पेट पाल रही हूँ। कोई औलाद भी नही है
.
जिसकी ओर मदद के लिए देखूं।
इतना कहते कहते बुढ़िया रुआंसी हो गयी,
और उसकी आंखों मे आंसू आ गए ।
.
शर्माजी ने 100 रूपये का नोट बुढ़िया को दिया तो
वो बोली "बाबूजी मेरे पास छुट्टे नही हैं।
.
शर्माजी बोले "माई चिंता मत करो, रख लो,
अब मै तुमसे ही फल खरीदूंगा,
और कल मै तुम्हें 1000 रूपये दूंगा।
धीरे धीरे चुका देना और परसों से बेचने के लिए
मंडी से दूसरे फल भी ले आना।
.
बुढ़िया कुछ कह पाती उसके पहले ही
शर्माजी घर की ओर रवाना हो गए।
घर पहुंचकर उन्होंने पत्नी से कहा,
न जाने क्यों हम हमेशा मुश्किल से
पेट पालने वाले, थड़ी लगा कर सामान बेचने वालों से
मोल भाव करते हैं किन्तु बड़ी दुकानों पर
मुंह मांगे पैसे दे आते हैं।
.
शायद हमारी मानसिकता ही बिगड़ गयी है।
गुणवत्ता के स्थान पर हम चकाचौंध पर
अधिक ध्यान देने लगे हैं।
.
अगले दिन शर्माजी ने बुढ़िया को 500 रूपये देते हुए कहा,
"माई लौटाने की चिंता मत करना।
जो फल खरीदूंगा, उनकी कीमत से ही चुक जाएंगे।
जब शर्माजी ने ऑफिस मे ये किस्सा बताया तो
सबने बुढ़िया से ही फल खरीदना प्रारम्भ कर दिया।
तीन महीने बाद ऑफिस के लोगों ने स्टाफ क्लब की ओर से
बुढ़िया को एक हाथ ठेला भेंट कर दिया।
बुढ़िया अब बहुत खुश है।
उचित खान पान के कारण उसका स्वास्थ्य भी
पहले से बहुत अच्छा है ।
हर दिन शर्माजी और ऑफिस के
दूसरे लोगों को दुआ देती नही थकती।
.
शर्माजी के मन में भी अपनी बदली सोच और
एक असहाय निर्बल महिला की सहायता करने की संतुष्टि का भाव रहता है..!
@"जीवन मे किसी बेसहारा की मदद करके देखो यारों,
अपनी पूरी जिंदगी मे किये गए सभी कार्यों से
ज्यादा संतोष मिलेगा...
Tagged: