डा.आर.पी.यादव ने 20 वर्ष पहले अपनी बेटी को खो दिया था । जब गाँव की कुछ लड़कियों को कई किलोमीटर दूर पैदल कालेज जाते देखा, रास्ते में लड़कियों के साथ छेड़ छाड़ होते देखा तो रहा नही गया तब अपने जी पी ऍफ़ फंड से जमा बुढ़ापे का सहारा धन को निकाल कर बस खरीद दिया और इसी बस से लडकिया निःशुल्क कालेज जाती है ।
अब भी ऐसे इंसान होते है ? विश्वास नही होता । यादव साहब को सादर सम्मान, आत्मीय अभिनंदन...एक लाइक तो बनता है।