गणपति का आना हमारे लिए सौभाग्य सूचक है। पर यह सौभाग्य बना रहे इसकी चिंता भी हमे ही करनी होगी। यदि हम प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनी मूर्तिया खरीदते रहे और उनका बिसर्जन जल स्त्रोतों में करते रहे तो पीने के पानी से ही नही खेती किसानी को भी हमारे तालाब और नदियां नही बचेगी। खतरनाक रसायनों के कारण जलीय जीव भी संकट में है। और यह न केवल क़ानूनी अपितु मानवीय दृष्टिंकोण से भी अनुचित है। शिक्षा संस्कार विद्यालय में बच्चों को मिटटी से गणपति बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। स्थापना के उपरांत इनको जल से भरे हुए गमले में विसर्जित किया जायेगा। जिससे समय आने पर गणपति हमें सुन्दर फूलो के रूप में प्राप्त होंगे।