संजीव जैन's Album: Wall Photos

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ऐसी रचना जो दिल को छु जाती है,,
पथ्थर दिल भी पिघल जाएगा.....
पूरा पढ़ना होगा,,,,, वन्देमातरम लिखना होगा।

ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे,
टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।

गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,
हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।

पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,
लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।

नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है,
पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।

साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,
आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।

चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,
माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।

गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे,
होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।

माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,
लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।

काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,
क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।

माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ,
चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।

क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,
जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।

दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,
आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।

पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है,
सब कह रहे है लेने उनको राम आये है।

पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,
बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।

इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,
आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।

अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,
ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।

वन्देमातरम
इंकलाब जिंदाबाद
जय हिंद फौज