संजीव जैन's Album: Wall Photos

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दशलक्षण के अंतिम दिन
याद रखने योग्य सार ...
क्षमा हमारी बहिन, मार्दव हमारा पडोसी
आर्जव हमारा मित्र , शौच हमारा गुरु
सत्य जगत का मुखिया , संयम हमारा सहारा
तप हमारी साधना , त्याग मुक्ति का किनारा
अकिंचन्य के माध्यम से ब्रह्म प्राप्ति सौख्य कला
आत्म बने परमात्मा , मोक्ष शिव मंज़िल मिला ....
जो किया विगत दस दिनों में
चर्या में रहे आगे भी हमारे
मार्ग प्रशस्त बना रहे हमारा
पाकर गुरु आशीष ....
नमोस्तु आचार्यश्री !
नमोस्तु गुरुवर सुधासागर !!
नमोस्तु गुरुवर प्रमाणसागर !!!
त्रियोग वंदन !!!
चलते चलते :
गाँधी जी ने लिखा है -
ब्रह्मचर्य केवल मशीनवत कुंवारापन नहीं
संपूर्ण इन्द्रियों पर संयम एवं
मन-वचन-काय से काम लिप्सा से मुक्ति ही
आत्मज्ञान का मार्ग है >>>>>>