संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 11,210 of 15,035 in Wall Photos

हिंद की जय हिंद की जय शोर चारों ओर था;
घन विभेदी गर्जना का दौर भी घनघोर था।
क्या गज़ब दीवानगी थी क्या गज़ब उन्माद था;
पाक की मुरदानगी पर हिन्द ज़िन्दाबाद था।
युद्ध सरहद पर छिड़ा ये रेडियो बोला अभी;
चल दिया संकल्प लेकर युद्ध में हमीद भी।
साथियों को ध्वंस के रणगीत गाते देखकर;
सरज़मीं पर पाक पैटन टैंक आते देखकर।
आसमांसी तन गयी थी आज उसकी भृकुटियाँ;
सुर्ख़ रक्तिम हो उठी थी चक्षुओं की पुतलियाँ।
हौसले थे तुंग हिम्मत के शिखर भी चढ़ गया;
देश रक्षा के लिए हमीद आगे बढ़ गया।

वो चला द्रुत वेग से अरि छातियों को चीरता;
झुक गया अम्बर पगों में देख उसकी वीरता।
भारती का लाल अब्दुल दुश्मनों काल था;
सच कहूँ तो सिंहनी के दूध का दिक्पाल था।
आज तो उसकी रगों में आँधियों सा वेग था;
फड़फड़ाते बाजुओं में जोश का अतिरेक था।
थामकर गन हाथ में जब मुट्ठियाँ कसने लगीं;
पाक पैटन टैंकरों की धज्जियाँ उड़ने लगीं।
गीदड़ों की टोलियों में ख़ौफ़ सा छाने लगा;
आज तो यमराज अब्दुल मौत बरसाने लगा।
दुश्मनों के जिस्म गाजर मूलियों से कट गए;
पाक के वहशी दरिन्दे बोटियों में बँट गए।

त्रस्त बुज़दिल बैरियों के हौसले ही पस्त थे;
सात पैटन टैंक उनके सामने ही ध्वस्त थे।
काल का विकराल तांडव फिर शुरू होने लगा;
पर उसी पल एक गीदड़ अनवरत रोने लगा।
चूड़ियाँ टूटी कहीं पर अपशगुन होने लगा;
रुद्ध घायल तृषित अब्दुल चेतना खोने लगा।
चक्षुओं की लालिमा पर कालिमा सी छा गयी;
यूँ लगा हम्मीद को माँ सामने ही आ गयी।
याद है माँ ने कहा था पीठ दिखलाना नहीं;
दूध की सौगंध तुमको हारकर आना नहीं।
शान हिन्दुस्थान की बेटा तुम्हारे हाथ है;
हौसले से युद्ध लड़ना माँ तुम्हारे साथ है।
एक साथी ने सुझाया जीप को मोड़ें अभी;
वक़्त की आवाज सुनकर मोरचा छोड़ें अभी।
वीर बोला मर मिटूँगा मैं वतन की शान पर;
आँच भी आने न दूँगा भारती के मान पर।

मौत ही तो जिंदगी का आख़री अंजाम है;
पीठ दिखलाना समर में कायरों का काम है।
अस्मिता के प्रश्न पर तो प्राण भी लव लेस है;
मातृभू माँ भारती का कर्ज मुझ पर शेष है।
आज वेला आ गयी निज प्राण के बलिदान की;
रक्त से रोशन करूँ रण-ज्योति हिन्दुस्थान की।
ये दुआ माँगी ख़ुदा से धीर था रणधीर में;
हाथियों सा बल समाहित हो गया फिर वीर में।
शेर सी हुंकार करके वो हिमालय बन गया;
दुश्मनों का काल फिर से मोरचे पर ठन गया।
पर ख़ुदा को आज तो कुछ और ही मंजूर था;
आज शायद काल के वश काल भी मजबूर था।

दनदनाता एक गोला वीर से टकरा गया;
आग की लपटें उठीं आकाश भी थर्रा गया।
एक पन्ना जुड़ गया इतिहास में बलिदान का;
शीश ऊँचा कर गया हम्मीद हिन्दुस्थान का।
रेडियो की घोषणा से स्तब्ध पूरा देश था;
ग़मज़दा ग़मगीन उसके गांव का परिवेश था।
धामपुर की धूल माटी ताल नदियाँ रो पड़ीं;
हर जवाँ बूढ़ी निग़ाहें गाँव गलियाँ रो पड़ीं।
वो पिता का प्यार बोला क्या ख़बर आई अभी;
मर नहीं सकता हमीदा झूठ मत बोलो सभी।
गिर पड़ी बीबी रसूलन चूड़ियों को तोड़कर;
जा नहीं सकते पिया तुम यूँ अकेली छोड़कर।
माँ लहू के आँसुओं की धार बनकर बह गयी;
घातकी आघात को चट्टान बनकर सह गयी।
सूरमा की शेरनी माँ क्या ग़ज़ब ही कह गयी;
पीठ पर भी घाव है क्या पूछती ही रह गयी।

कोख़ तेरी धन्य है माँ नूर चाचा ने कहा;
वीर अब्दुल का लहू तो देश की ख़ातिर बहा।
कौन कहता है जहाँ में लाल तेरा मर गया;
धामपुर की धूल का भी भाल ऊँचा कर गया।
धन्य है बलिदान तेरा तू वतन की शान है;
धन्य तेरी मौत पर ये ज़िन्दगी कुर्बान है।
वो दिलेरी धन्य तेरी देश को अभिमान है;
वीरता का चक्र देकर धन्य हिन्दुस्थान है।
यूँ कहो तो मौत क्या है ज़िन्दगी की शाम है;
पर तुम्हारी मौत भी ज़िन्दादिली का नाम है।
अब उसी ज़िन्दादिली से ये वतन आबाद है;
तू सुपुर्दे ख़ाक तेरा नाम ज़िंदाबाद है। ...... योगेन्द्र शर्मा

भारत माँ के अमर सपूत वीर अब्दुल हमीद को शत शत नमन।

भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में हवलदार वीर अब्दुल हमीद 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान खेमकरण सेक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गये युद्ध में अदभुत वीरता का प्रदर्शन किया।

वीरअब्दुल हमीद पंजाब के तरन तारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे। पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले "अमेरिकन पैटन टैंकों" के साथ, "खेमकरण" सेक्टर के "असल उताड़" गाँव पर हमला कर दिया।

भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला। इतिहास ऐसे हौसलों की व्याख्या में व्यक्तियों की मुखदेखी नहीं कहता। वह जैसे महान लोगों की भव्य सफलताओं को प्रदर्शित करता है, वैसे ही उनकी असफलताओं को भी। वह उन व्यक्तियों और संगठनों को उनके समग्र स्वरूप में देखने में हमारी सहायता करता है, जिनके हाथों राष्ट्र की नियतियाँ गढ़ी गईं।