भारत भूमि पर वैसे तो एक से बढ़कर एक वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है। लेकिन यहां की वीरांगनाओं की वीर गाथाएं भी किसी से कम नहीं हैं। ऐसी ही एक वीरांगना थी रानी दुर्गावती। जो जल जंगल और पहाड़ों की रानी कही जाती थी। वो गढ़ मंडला से लेकर महाकोशल पर राज करती थी। इसी बात से खिन्न मुगल राजा अकबर ने मध्यभारत में अपनी पैठ बनाने के लिए उसे चुनौती थी कि वो उसकी सल्तन को स्वीकार कर ले। इस पर रानी ने कहा चुनौती मंजूर है, पर गुलामी नहीं। जब रानी और मुगल सेना के बीच युद्ध हुआ तो रानी गंभीर रूप से घायल हो गईं उन्होंने अपनी अस्मिता के लिए खुद को कटार मार ली और मातृभूमि की खातिर शहीद हो गईं। वो तारीख 24 जून 1564 कही जाती है। रानी की समाधि पर हर बरस उनकी शहादत को नमन करने वालों का तांता लगता है।