आज की गर्मी बड़ी सख्त थी धूप बेतहाशा तेज़ थी ,, दोपहर के वक़्त ये बेहद ख़ास तस्वीर मैंने ली जब मैं ज़ोहर की नमाज़ के लिए मस्जिद जा रहा था ,, रास्ते मे जामा मस्जिद तकिया कल्लन शाह की दहलीज़ पर सख्त धूप में आराम करते हुए इन दो साधूओं को देखा ,, बड़े सुकून से मस्जिद की चौखट पर बैठ कर आराम कर रहे थे इन्हें कोई परेशानी नही थी ,, मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आने जाने वालों को भी कोई परेशानी नही थी ,, रास्ते मे आते जाते हिन्दू मुस्लिम किसी को कोई परेशानी नही थी ,,,, जिस्म थका था उसने चौखट ढूँढ ली थी ,,, किसी को परेशानी नही ,,
बस एक सवाल मेरे जेहन में गूँज रहा था कि आख़िर परेशानी होती किसको है .........????
सियासत का बदन गर दोस्तो नँगा नही होता
हमारे क्या किसी भी शहर में दंगा नही होता