मेरी कहानी
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हम 75 साल से साथ हैं, वो मेरे बिना रह नहीं सकते
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जब मेरी उनसे शादी हुई तो मैं 12 साल की थी. मुझे आज भी याद है. वो घोड़ा बग्घी में बैठकर मुझे ब्याहने आए थे. मेरे पूरे गांव में किसी का दूल्हा बग्घी पर बैठकर नहीं आया था. मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी और गर्व भी. मेरे पति ने उस घोड़ा बग्घी के लिए दस टका दिए थे. इतने पैसों में उस सम वो धान का बड़ा खेत खरीद सकते थे. शादी के बाद मेरे पति मुझे रंगा बऊ कहते थे, रंगा बऊ यानी ख़ूबसूरत बीवी. वो कहते थे कि मैं दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत औरत हूं जो उन्होंने देखी है. लेकिन मेरे पति का रंग इतना काला है कि गांव के लोग उनका इसे लेकर मज़ाक बनाते रहते.
वो उनसे कहते कि वह उस काले पत्थर जैसे हैं जिनके गले में हीरों का हार है. लेकिन मेरे पति को कभी इसका बुरा नहीं लगता. लोग जब भी उनका मज़ाक बनाते तो वो बस मुस्कुरा देते. लोग जब भी उनका मज़ाक बनाते तो वो मुझसे कहते कि देखो तुम कितनी सुंदर हो.
पिछले 75 सालों से हम दोनों साथ हैं. दो साल पहले मैं अपने बड़े बेटे और उसके परिवार को देखने गई थी. मेरे पति मेरे छोटे बेटे और उसके परिवार के साथ थे. मेरी बहू ने मुझे बताया कि वो बार बार मेरी बहू से पूछते कि मेरी रंगा बऊ कहां हैं, क्या उसने फोन किया, कब अा रही है.
मेरे बिना वो पागल से हो जाते हैं. अपने पूरे जीवन में हम कभी भी एक दूसरे से अलग नहीं रहे हैं. हम दोनों सुबह साथ सोकर उठते और साथ ही सुबह की नमाज़ पढ़ते. अगर खाना मैंने अपने हाथ से ना बनाया हो तो वो खाते ही नहीं थे. और जब हम साथ खाने बैठते तो वो मछली का सबसे बड़ा हिस्सा मुझे देते.
अगर मैं कभी उनसे गुस्सा हो जाती और बोलना बंद कर देती तो वो तब तक मेरे पास बैठे रहते जब तक कि मैं मुस्कुरा ना देती. अगर मैं कभी उनकी नज़र से दूर होती तो वो मुझे इधर उधर ढूंढते रहते, पूछते रहते कि मेरा रंगा बऊ कहां हैं. उनकी वजह से मैं कभी कहीं जाती ही नहीं थी.
हो सकता है कि हम बहुत दिनों तक एक दूसरे के साथ अब ना रह पाएं. हम दोनों की उम्र हो गई है, ये जीवन का आख़िरी पड़ाव है. लेकिन मैं उनसे पहले मरना नहीं चाहती. मेरे बिना वो पागल हो जाएंगे. वो हर जगह अपना रंगा बऊ को खोजते फिरेंगे. मैं बस खुदा से यही चाहती हूं कि वो उनसे पहले मुझे ना उठाए.