इस भावपूर्ण तस्वीर को किसी वर्णन की आवश्यकता नहीं हैl आज जिस प्रकार से त्योहारों का आधुनिकीकरण हो गया हैl वह भी कहीं ना कहीं परिवारों के बिखराव का एक छोटा ही सही कारण हो सकता है lत्योहारों को मनाना कोई बाध्यता नहीं है इसके पीछे परम उद्देश्य घर के सदस्यों में आपसी भाईचारा प्रेम स्नेह जुड़ाव को जीवंत रखना है आज आवश्यकता की प्रत्येक चीज बाजार में उपलब्ध है यहां तक की गोबर के उपले भी ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं lघर मे चीजों को बनाने को नजरअंदाज किया जाने लगा है परिणाम बच्चे इन परंपराओं से अनभिज्ञ हैं जिसके दोषी हम सब है कमाई की आपाधापी में समाज क्या-क्या खोता जा रहा है यह बताने की आवश्यकता नहीं है इसीलिए विचार करें और त्योहारों को पारिवारिक एकता के दृष्टिकोण से मनाएंl