संजीव जैन's Album: Wall Photos

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गरीबों और वंचितों के मसीहा बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को हुआ था। उनके नाम 50 सालों तक सांसद रहने का वर्ल्ड रेकॉर्ड है। 1936 से 1986 तक वह सांसद रहे। उन सालों में वह बराबरी और वंचितों के लिए लड़ते रहे। 
उनका संबंध दलित समुदाय से था। उन दिनों धार्मिक स्थलों में दलितों के जाने पर रोक थी। जननेता होने की वजह से उनको तो जगन्नाथ पुरी मंदिर में जाने की अनुमति दी दी गई। लेकिन उनकी पत्नी समेत और लोगों को अनुमति नहीं मिली। इसलिए जगजीवन राम ने भी मंदिर में प्रवेश करने से इनकार कर दिया। उनकी पत्नी इंद्राणी ने अपनी डायरी में इस घटना का उल्लेख किया था। उन्होंने लिखा था, 'इस घटना की वजह से भगवान के दर्शन की मेरी तमन्ना अधूरी रह गई। अगर वह अपने भक्तों से भेदभाव करते हैं तो वह विश्व के देवता कैसे हो सकते हैं?' 
एक बार मदन मोहन मालवीय का आरा में एक स्कूली समारोह में जाना हुआ। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के संस्थापक वहां जगजीवन राम से मिले। संस्कृत पर जगजीवन राम की जबर्दस्त पकड़ होने से मालवीय काफी प्रभावित हुए। उन्होंने बाबू जगजीवन राम को यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बीएचयू में दाखिला ले लिया और पढ़ना शुरू किया। वहां उनको हॉस्टल, मेस से लेकर क्लास तक में भेदभाव का सामना करना पड़ा। इस वजह से उन्होंने बीएचयू छोड़ दिया और कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया। वहां उनके नेतृत्व का कौशल निखरा जिससे सुभाष चंद्र बोस भी प्रभावित हुए। 
मजबूत व्यक्तित्व 
जगजीवन राम के अंदर एक नायक वाली पूरी खासियत थी। वह जितने शांत थे, उतना ही मजबूत भी थे। उनको कदम-कदम पर भेदभाव का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी किसी के खिलाफ नफरत नहीं फैलाई। इसकी बजाय उन्होंने सौहार्द और शांति का रास्ता चुना। उन्होंने काफी संयम दिखाया और जिनलोगों ने उनके साथ या उनके समुदाय के साथ गलत व्यवहार किया था, उनको भी माफ कर दिया। 
जगजीवन राम एक योद्धा की तरह थे। उन्होंने जिंदगी में काफी हार नहीं मानी। जब वह रक्षा मंत्री थे तब भारत ने 1971 का युद्ध जीता और बांग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र का जन्म हुआ। जब वह भारत के कृषि मंत्री थे तो देश में हरित क्रांति आई। 
वह कांग्रेस के पक्के वफादार लीडर थे। लेकिन जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया तो वह इसके खिलाफ हो गए। जनता पार्टी के शासनकाल में जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने तो वह उपप्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री बन गए। 
आज उनकी पुण्यतिथि पर इनबुक नेटवर्क परिवार की और से विनम्र श्रद्धांजली।