संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 2,905 of 15,035 in Wall Photos

कारगिल युद्ध के नायक अमर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा जी की पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन।
कैप्‍टन विक्रम बत्रा ने कारगिल के युद्ध में देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्‍च बलिदान दिया था। युद्ध के बाद कैप्‍टन विक्रम बत्रा की बहादुरी को नमन करते हुए उनको सेना के सर्वोच्‍च सम्‍मान परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया था।
आइए जानते हैं कैप्‍टन विक्रम बत्रा के शहादत की पूरी कहानी।
कैप्‍टन विक्रम बत्रा का जन्‍म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था।
उन्‍होंने अपने सैन्‍य जीवन की शुरुआत 6 दिसंबर 1997 को भारतीय सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स से की थी। घटना उन दिनों की है जब भारतीय सेना और आतंकियों के भेष में आए पाकिस्‍तानी सेना के जवानों के बीच कारगिल का युद्ध जारी था।कमांडो ट्रेनिंग खत्‍म होते ही लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा की तैनाती कारगिल युद्ध क्षेत्र में कर दी गई थी। 1 जून, 1999 को अपनी यूनिट के साथ लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा ने दुश्‍मन सेना के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया था।
दुश्‍मनों का अंत करके हम्‍प और रॉक नाब चोटियों पर किया कब्‍जा  
प्रारंभिक तैनाती के साथ लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा ने हम्प व रॉक नाब की चोटियों पर कब्‍जा जमाकर दुश्‍मन सेना को मार गिराया था। लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा की इस सफलता के ईनाम के तौर पर सेना मुख्‍यालय ने उनकी पदोन्‍नति करके कैप्‍टन बना दिया था। पदोन्‍नति के बाद कैप्‍टन विक्रम बत्रा को श्रीनगर-लेह मार्ग के बेहद करीब स्थिति 5140 प्‍वाइंट को दुश्‍मन सेना से मुक्‍त करवाकर भारतीय ध्‍वज फहराने की जिम्‍मेदारी दी गई। कैप्‍टन विक्रम बत्रा ने अपने अद्भुत युद्ध कौशल और बहादुरी का परिचय देते हुए 20 जून 1999 की सुबह करीब 3