संजीव जैन's Album: Wall Photos

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"सतनाम श्री वाहेगुरु "
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.एकबार एक व्यक्ति गुरू नानकदेव जी के पास जाकर बोला -गुरुजी ईश्वर मुझसे इतना नाराज कयो हे मै दिनभर मेहनत करता हूं फिर भी मुझे खाने को पूरा नही होता ,गुरुजी -वो परमात्मा कभी किसी से नाराज नही होता ,व्यक्ति-फिर ऐसा कयो ,गुरुजी कुछ ध्यान लगाकर-कयोकि तुमहारी उम्र उनहोने 60साल की दी हे ओर अनाज तुमहारी किस्मत मे (कर्मो)5बोरी है इसीलिए वो तुम्हें थोड़ा थोड़ा देकर तुमहारी जिंदगी ज्ञापन करवा रहा है,व्यक्ति-गुरुजी कया ये सब 5बोरी मुझे एकसाथ मिल सकती है ,गुरुजी मुसकुराते हुए-अच्छा कया करोगे इतने अनाज का ,व्यक्ति-बस आप एकबार दिलवा दीजिए ,गुरुजी ने कहा वो अरदास करेंगे परमात्मा से ,अगले दिन उस व्यक्ति के घर 5बोरी अनाज पहुंच गया व्यक्ति ने सोचा रोज मेरे जैसे कितने थोड़ा थोड़ा खाकर गुजारा करते होगे सो इनसे उन सभी को भंडारा करके तृप्त करता हूं अपना कया मरना तो है थोड़ा खाने की जगह भूखे मरना अच्छा उसने वैसा ही किया अच्छे से भंडारा किया ओर सबकुछ निपाटकर सो गया अगले दिन फिर से घरके बाहर अनाज की बोरिया पडी थी उसने फिर से भंडारा करवाकर अनाज खत्म कर दिया अगले दिन फिर से अनाज घरके बाहर, अबतो ये रोज का सिलसिला हो गया वो गुरुजी के पास पहुंचा ओर बोला -आप तो कहते थे मेरी किस्मत मे सिर्फ5बोरी अनाज है मगर ये तो मुझे अब रोज मिलने लगा ,गुरुजी -कलतक तुम अपने बारे मे सोचते थे इसीलिए तुम्हें थोड़ा2 मिलता था मगर जो अपनी प्रार्थना मे दूसरों का भला सोचते है उनके भंडारे परमात्मा सदा भरे रखता है व्यक्ति समझ गया ,मित्रो आप स्वयं देख सकते हो तकरीबन हर गुरद्रारे मे लंगर होता है अमीर गरीब कोई भी हो चाहे कितने आलू प्याज टमाटर मंहगे हो मगर यहां रोज लाखो लोग तृप्त होते है ये सब हमारे गुरू नानकदेव जी महाराज के चलाए सच्चा सौदा (जिसमें पिता द्वारा दिए पैसों से गरीबों को भोजन )का एक रूप है तो प्रेम से बोलिए..
नानक नाम चढी कला तेरे भाणे सरबत दा भला
सतनाम श्री वाहेगुरु..
बाबा जी के चरणों की धूल कण समान एक भक्त