रात के एक बजे भूखों का पेट भरने निकलती हैं ये लड़कियां
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रात के एक बजे हैं. लोग अपने गरम बिस्तरों में सोए हैं. एक लड़की अपने कुछ दोस्तों के साथ चमकीले कपड़े हुए सड़कों पर चली जा रही है. अपने स्टोरेज कंटेनरों और पैकिंग दस्तानों के साथ निकले ये सभी लोग खाना पैक कर रहे हैं और बांट रहे हैं.
अहमदाबाद के एसजी हाइवे, शिवरंजानी, पंजरापोले, लखुड़ी तलवाडी, अंजलि क्रॉसरोड्स आदि इलाक़ों में ये रोज़ की बात है. हर दिन शहर के अलग-अलग होटलों में बचे खाने से करीब छह सौ भूखे लोगों का पेट इस तरह भरा जाता है.
शीतल शर्मा किसी भी बीस साल की कॉलेज जाती लड़की जैसी ही हैं. दिन में उनकी ज़िंदगी बाक़ी लड़कियों जैसी ही सामान्य होती है. लेकिन असल में शीतल किसी सामान्य छात्रा से बहुत ज़्यादा हैं. वो एक हंगर हीरो हैं जो फीडिंग इंडिया के लिए काम करती हैं. ये संस्था खाद्य पदार्थों की बर्बादी रोकने और भूखे लोगों को खाना मुहैया कराने के लिए काम करती हैं.
जिस तरह से कॉमिक में सुपरहीरो रात में आते हैं और मानवता की भलाई के लिए काम करते हैं उसी तरह शीतल शर्मा जैसे हंगर हीरो रात के अंधेरे में निकलते हैं और भूखों के लिए खाने का इंतेज़ाम करते हैं.
ज़रूरतमंदों के लिए वो किसी असली सुपरहीरो से कम नहीं हैं.
शीतल कहती हैं, “मैं जब भूखे लोगों को खाना परोसती हूं और उनके चेहरे पर मुस्कान देखती हूं तो मेरी ज़िंदगी के मायने बढ़ जाते हैं.”
एक और हंगर हीरो सविता कहती हैं, “भूखे लोगों को खाना खिलाकर जो ख़ुशी मिलती है वो हमें ख़ुशकिस्मत होने का अहसास कराती है.
फीडिंग इंडिया ने वर्ल्ड फुड वीक (9-16 अक्तूबर) के बीच आम जनता की मदद से देशभर के शहरों में भूखों के लिए खाना मुहैया कराने के प्रयास किए.
संस्था स्कूलों, कंपनियों, होटलों, शादियों आदि में बचा हुआ खाना दान करने की अपील करती है.
इस संस्था के साथ भूखो को खाना खिलाने के अभियान में कोई भी जुड़ सकता है.
आंकड़ों के मुताबिक भारत में पर्याप्त खाद्य पदार्थ पैदा होते हैं जो पूरी आबादी की ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं लेकिन बावजूद इसके आज भी बहुत से लोग भूखे रह जाते हैं.
अनुमान के मुताबिक भारत में करीब बीस करोड़ लोगों को पूरा खाना नहीं मिल पा रहा है.
हममें से सभी लोग जान बूझकर या अनजाने में किसी न किसी तरह खाने की बर्बादी करते हैं. ऐसे में भूखे लोगों की खाद्य ज़रूरतों के बारे में जानकारी लोगों को खाने की बर्बादी रोकने के लिए प्रेरित कर सकती है.
हाल के दिनों में झारखंड से आई एक ख़बर ने भारतीय समाज को हिला कर रख दिया है.
राशन कार्ड के साथ आधार नंबर न जुड़ पाने पर झारखंड के सिमडोगा ज़िले के एक परिवार को राशन मिलना बंद हो गया और परिवार की एक 11 साल की बच्ची ने भूख से तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया.
दूसरों लोगों की खाद्य ज़रूरतों के बारे में जानकारी और खाने की बर्बादी को रोककर ऐसी मौतों को रोका जा सकता है. और इस तरह की मौतों को रोकने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ सरकारा की नहीं है बल्कि हम सबकी है.