मैं राष्ट्र-मालिका का मोती, अगणित हूँ, केवल एक नहीं।।
जो मातृभूमि से ही पाया, वह लघुतम सा उपहार लिए,
माता के मन्दिर में आया, अतुलित साहस-सम्भार लिए;
कर चुका समर्पित राष्ट्र-देव! झोली में कुछ अवशेष नहीं।। मैं राष्ट्र मालिका ...
प्रतिक्षण कण-कण इस गंगा में होते विलीन, बढ़ते जाते,
इसकी उत्ताल तरंगों में सब दावानल दबते जाते;
क्या सहन सकीं ज्वालाएं जलधारा में उद्रेक कहीं।। मैं राष्ट्र मालिका ...
संघ के वरिष्ठतम प्रचारक एवं ठाकुर साहब के कल दिनांक 20 अक्टूबर 2017 को निधन के बाद आज पंच-तत्व में विलीन होने के साथ एक युग का अंत हो गया। बलिष्ट शरीर के इस योद्धा के एक पत्र और स्नेह के सहारे 1983 से स्वयंसेवक जीवनयात्रा की शुरुआत के बाद 1999 के संघर्षतम् वर्ष में हमने भी अपने चिकित्सा शिक्षा के दौरान प्रथम धर्म-युद्ध की शुरुआत की और विजय प्राप्त की थी। उनके समर्पण से ही हम सबने सीखा कि यदि सत्य के पथ पर हो तो भय मुक्त होकर संघर्षरत रहो विजयश्री सदैव तुम्हारा ही वरण करेगी।
पूज्य ठाकुर साहब के श्री चरणों में शत शत नमन व विनम्र अश्रुपूरित श्रद्धांजलि |