एक A नाम के व्यक्ति के 6 पहचान वालो को पकड कर हर दो दो घंटे मे A के पास एक एक कर के भेजना है। ओर हर व्यक्ति A से बातचीत करते हुए A से कह देवे की आपका चेहरा कुछ गड़बड़ दिख रहा है क्या आप बीमार है। अब शाम तक A के मन मे यह बात बैठ जायगी की शायद मै बीमार हूँ। ओर न चाहते हुए भी वह अपने शरीर मे बीमारी पाल लेगा। इसको हम साइकलोजिकल इफेक्ट भी कह सकते हैं।
इसी का उल्टा अगर हम A से अच्छी बाते बोलेंगे तो वे बीमार होते हुए भी जल्दी ठीक हो जाऐगे।
शब्द, स्पर्श, रुप, रस ओर गंध इनका असर हमारे मन के द्वारा विचारों मे परिवर्तित होता है। जो शरीर मे अंदरूनी हलचल द्वारा दिखाई देता है।
सड़क के किनारे खड़े होकर आने जाने वालो को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि कौन गुस्से मे, टेन्शन मे या खुश हैं। मन की भावना से जो विचार बनते हैं उन्हे चेहरे द्वारा आराम से पढा जा सकता है। जिनका असर समयानुसार शरीर के अंदर व बाहर ( बोडिलेंगवेज द्वारा ) दिखाई देता है।
एक बैंक मेनेजर व रिक्शावाले को एक जैसे कपडे पहना कर, सड़क पर साथ साथ चल रहे हो, तो 15 - 20 फूट दूरी बना कर हम पीछे पीछे चले तो उनकी चाल देख कर बताया जा सकता है कि कौन रिक्सेवाला है ओर कौन सा बैक ऑफिसर। अब जो चाल मे फर्क है वह कई सालो के विचारों का लेखा-जोखा है।
अगर हम सांसो को खीचते व छोड़ते समय अपने भगवान को याद रखे तो वे मन मे बैठ जायेगें। तब मन के भाव चेहरे पर भी प्रसन्नचित दिखेंगे।
साइक्लोजिकल इफेक्ट - -
( हिन्दी मे विचारों द्वारा फर्क आना ) एक बड़े नामी डाक्टर ने मरीज को सिर्फ ग्लूकोज चढाया। पर उस मरीज से कह दिया कि इस ग्लूकोज़ मे 25 हजार का इंजेक्शन डला है, ये जैसै जैसे शरीर मे जाएगा आपकी तबियत ठीक होना शुरु हो जायगी। और मरीज सच मे ठीक हो गया। अब चूंकि डाक्टर बडा व नामी हे इसलिए विश्वास करना जायज बात है।
अब मरीज को ठीक किया गया विचारों की ताकत से।
अच्छे या बुरे विचारों के लिए हमारे मन की भावना की अहम भूमिका रहती है। मन को ठीक रखने के लिए भगवान या गुरु का साथ आवश्यक है।
निश्कर्ष - - हमे ये याद रखना चाहिए कि बुरे व अच्छे, सब लोगों को भगवान ही बनाता है। इसलिए किसी मे भी दोष निकाले बिना, हम अपनी मन की भावना को ठीक रखें। हमारे विचार अपने आप अच्छे बन जाऐगे।
अच्छे विचारों से हम अपने साथ साथ समाज व राष्ट्र के लिए भी अच्छा सुनते, देखते और करते हैं।