संगीता और सासू माँ शिवानी सुबह से रसोईघर मे व्यस्त थे। आज संगीता के ऑफ़िस के साथी न्युईयर विश करने जोड़े के साथ उसके घर आने वाले थे। शिवानी ने सारा अनुभव व प्रेम स्वादिष्ट पकवान बनाने में लगा दिया था। सब कुछ तैयारी के बाद संगीता बोली -" सासू माँ ...सब लोग बिंदास खुलकर मनोंरंजन करना चाहते है इसलिये जब वे लोग बैठे हों तो आप कमरे से बाहर मत आना ! उनकी आज़ादी मे ख़लल पड़ेगा।"
शिवानी मायूस होकर बोली -"ठीक है.. बहू... "
फिर संगीता ने पति शुभम को हिदायत दी-"सुनिये जी ...मेरे साथियों के सामने फुहड कपड़ों मे मत आ जाना ? आज के लिये मैने आपके लिये पुलोवर और ड्रेस ख़रीदी है वही पहनना ?"
शुभम के सामने सहमति के सिवाय कोई विकल्प नही था। कुछ देर बाद डोर बेल बजी और सभी साथियों का संगीता ने स्वागत किया। उनका नाश्ता आदि लगाने के पश्चात वह शुभम को आवाज देते हुऐ बोली-"अरे अभी तक क्या कर रहे हो ? बाहर आओ सभी इन्तज़ार कर रहे है !"
कमरे का दरवाज़ा खुला और संगीता ने देखा शुभम माँ के कंधे पर हाथ रखे धीरे धीरे बाहर आ रहा है। उसने उसके लाये कपड़े भी नहीं पहने हैं ! उन्होने सभी मेहमानों का अभिवादन किया। शुभम बोला -"ये मेरी माँ है....जो नाश्ता आप कर रहें है वह माँ के हाथ का कमाल है ... ग़ज़ब का टेस्ट है इसके हाथ में ...ये स्वेटर भी माँ ने बुना है.. कितना सुन्दर है ?"
माँ की आँखो में ख़ुशी और संतुष्टि का सागर लहलहा रहा था जिसे शुभम महसूस कर रहा था। वह संगीता से बोला-" तुम ज़रा किचन मे चाय -कॉफ़ी की व्यवस्था करो ...हम तुम्हारे साथियों के साथ बैठते है क्योंकि तुम तो रोज़ मिलती हो इनसे ? आज माँ को भी तो मिलने दो !"