हैदराबाद से आने वाले सिराज ऑटो रिक्शा चालक के बेटे हैं और उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है. पहली बार भारत की जर्सी में देखकर वह भावुक हो गए और मैच से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने के दौरान आंसू पोछते हुए दिखाई दिए।
मैंने न्यूज़ बताने के लिए ये पोस्ट नही किया अपितु उस हृदयस्पर्शी क्षण और उसके बाद की प्रतिक्रिया जो मेरे पट्टीदारी में स्वजनों द्वारा(खासकर मेरा एक भतीजा जो उम्र में 2 साल बड़ा है मुझसे)रही उसको व्यक्त करने के लिए किया हूँ।मुझे बहुत ही आश्चर्य और ख़ुशी हुयी की जो हर पल हिंदुत्व और भाजपा की बात करता है आज मुहम्मद सेराज की खुले दिल से प्रसंशा कर रहा है।दया और प्रेम दिखा रहा है।ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ दिखा।(हे भगवान सेराज अच्छे से बोलिंग करे बेचारा बहुत गरीब घर का है।बड़ी मेहनत से आज इस मुकाम तक पंहुचा है।कहता था कि सेराज थोड़ा नर्वस है अन्य खिलाडियों को चाहिये की हौसला दें,हिम्मत बढ़ाएं।मुझे भी लगा की शायद बाकी खिलाडियों के द्वारा सहयोग और हौसलाफजाई होती तो शायद रिजल्ट कुछ और होता।)निश्चित ही ये बातें सेराज तक नहीं पहुँच रही थी और उनका खेल औसत दर्जे का रहा।किन्तु वो जिस तरह से सजा हौसला अफजाई कर रहा था,उसका पुरे मैच में जिस तरह से इस खिलाडी के प्रति प्रेम और सहानुभूति दिखा,मेरे ह्रदय को शांति प्रेम और ख़ुशी की अनुभूति करता रहा की कुछ तो है हम भारतीयों में जो लाख अलग होने के बावजूद अलग नहीं होने देगा।बहुत दिनों से जनमंच के पोस्ट्स से मेरा हृदय दुखी था कि हमारी आपसी कट्टरता हमारे भविष्य को किस और ले जा रही।कीन्तु आज ये दृश्य देखकर मेरे मन का कष्ट और संशय दूर हो गया कि हम लाख बोलकर अपने मन की भड़ास निकालें किन्तु हम एक दूसरे के प्रति पूर्ण रूप से अलग नही।और इसका कारण हमारे अंदर छुपी हुई भारतीयता की भावना है।:-
कुछ तो है हम हिंदुस्तानयों में जो हरदम रहेगी।
लाख दुश्मन चले चाल हमारी किश्ती नहीं डूबेगी।
ना बन हिन्दू मुस्लिम तुम तू केवल हो हिन्दूस्तानी।
लाख न मानो फिर भी दुनिया ये तुम्हे कहेगी।