कभी ये वही देश था, जहाँ कभी औरतों को सती होना पड़ता था, सम्पत्ति में अधिकार नहीं था, घूंघट और पर्दा ही उनका जीवन था
और आज ये वही देश है जहाँ महिलाये देश के विकास में बढ़ चढ़ के हिस्सा ले रही हैं.
हालाँकि सब ठीक नहीं हुआ है, पर इसके लिए, वही 3 चीज़ें चाहिए: समय, शिक्षा और सामाजिक इच्छाशक्ति........
अब आप कहेंगे की समय क्यों?
ये सत्य है कि महिला शारीरिक रूप से पुरूष से कमज़ोर होती है लेकिन ये भी उतना सत्य है कि महिला मानसिक रूप से पुरूष से कहीं बेहतर होती है.
किसी ज़माने में जब दुनिया शिकार, खेत और कारखानो से चलती थी, महिला की भूमिका कमतर थी, इसलिए वो कमज़ोर और पिछड़ी थी
मगर आज सॉफ्टवेयर का ज़माना है, कंप्यूटर और इंटरनेट का युग है, तो वो अपने दिमाग और एकाग्रता से सबको पछाड़ रही है
लेकिन आज सफल सिर्फ वही नारी हो रही है, जिसनें शिक्षा को हथियार बना स्वयं को काबिल बना लिया, बाक़ी सभी पिछड़ी ही रह गई
लेकिन इतना भी काफी नहीं. जब तक पूरा समाज इसे स्वीकार ना करे, जब तक पुरुष नारी को सिर्फ भोग्या की तरह ही देखे, और नारी भी स्वयं को सिर्फ जवानी और सुन्दरता का हथियार बनाकर ही पेश करे, तब तक नारी पूर्ण सफल नहीं हो सकती
आज हम बीच की स्थिति में खड़े हैं, इसीलिये सबसे ज्यादा भ्रमित हैं
इसीलिये आज आवश्यकता है हमारी सोच, हमारे नजरिये में पूर्ण बदलाव की
कमल झँवर