हममें से अधिकांश लोगों का नजरिया होता है कि जब जिंदगी मिली है तो जीना तो है ही। इसलिए जी रहे हैं और जीने के लिए कुछ तो करना ही पड़ता है। इसलिए कर रहे हैं। यह नजरिया ९० फीसदी लोगों का होता है और परिणाम होता है कि बिना मकसद के पूरी जिंदगी निकल जाती है। जीवन का मकसद न होने से हमें जीवन में कुछ खास नजर नहीं आता है और उत्साह व जोश की कमी झलकती है। हमारा नजरिया शिकायतवादी रहता है। इस नजरिए को छोडिए और अपनी असाधारण झमताऔ को पहचानिए।आप इस जिंदगी में एक खास मकसद को पूरा करे। जब हम यह तय कर लेते हैं कि हमें क्या और क्यों करना है तो उत्साह,उमंग,लगन और परिश्रम अपने आप आ जाता है।
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