आज़ादी के 70साल बाद भी भारत की शर्मनाक तस्वीर
शर्म से डूब मरने वाली बात , जिला अस्पताल में नहीं मिला वाहन, तब गरीब का
रिक्शे पर शव लादकर ले जाने को मजबूर हुए उसके परिजन,
हमारा भी कर्तव्य है कि हम विरोध का ऐसा सकरात्मक तरीका आपनाये,जो समस्या सुलझे,
कोई भी ठीक करें सिस्टम ठीक हो,हम सब यही तो चाहते है,टेक्स सरकार हमसे अपनी मनमर्जी से लेती ही है,उसे खर्च भी जरूरी मदो में कर दे,गरीबो के लिए कर दे,बस हम सरकार के खिलाफ लिखना बन्द कर देंगे,