( चित्तौड़ की रानी पद्मावती ) ------------- पद्मावती
चित्तौड़ के राजा रतन सिंह की रानी थी व सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन की पुत्री थी। चित्तौड़ के राजा रतन सिंह योगी के वेश में वहां जाकर अनेक वर्षों के प्रयत्न के पश्चात उसके साथ विवाह कर उसे चित्तौड़ ले आया था। वह अद्वितीय सुंदरी थी और रतनसेन के द्वारा निरादूत ज्योतिषी राघव चेतन के द्वारा उसके रूप का वर्णन सुनकर दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था। 8 वर्षों के युद्ध के बाद भी अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ पर विजय प्राप्त नहीं कर सका और लौट गया। दूसरी बार आक्रमण करके उसने छल से राजा रतनसेन को बंदी बनाया और उसे लौटाने की शर्त के रूप में पद्मावती को मांगा। तब पद्मावती की ओर से भी छल का सहारा लिया गया। और गोरा बादल की सहायता से अनेक वीरों के साथ वेश बदलकर पालकियों में पद्मावती की सखियों के रूप में जाकर रतन सेन को मुक्त कराया गया परंतु इस छल का पता लगते ही अलाउद्दीन खिलजी ने प्रबल आक्रमण किया। जिसमें सारे राजपूत वीर मारे गए। राजा रतनसेन चित्तौड़ लौटा परंतु यहां आते ही कुंभलनेर पर आक्रमण करना पड़ा और कुंभलनेर के शासक देवपाल की साथ युद्ध में देवपाल मारा गया परंतु राजा रतनसेन भी अत्यधिक घायल होकर चित्तौड़ लौट आया। और स्वर्ग सिधार गया उधर पुन: अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण हुआ। रानी पद्मावती अन्य सोलह सौ स्त्रियों के साथ जोहर करके भस्म हो गई तथा किले का द्वार खोल कर लड़ते हुए सारे राजपूत योद्धा मारे गए। अलाउद्दीन खिलजी को राख के सिवा और कुछ नहीं मिला।