संजीव जैन's Album: Wall Photos

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#आखिर_ये_मजदूर_कौन_है?
सडक निर्माण के काम मे लगे एक परिवार से मैंने बात की तो पता चला कि वो गांवो से विस्थापित किसान है। खेती मे फसल का भाव नही मिलने से घाटा हुआ उसके के चलते जमीन बेंच दी और दिल्ली आकर मजदूरी शुरू कर दी है, फिर दिल्ली मे झोपडिय़ों मे रहकर पीढी दर पीढी जीवन यापन करने को मजबूर हो गये। ना घर के रहे और ना ही घाट के।। जब दिल्ली का अमीर वर्ग प्रदूषण की चिंता मे सुखा जा रहा है वहां ये मजदूर शाम की रोटी के लिए मजदूरी कर रहे है। हमारे देश मे #महिलाएं मजदूरी करने मे पुरूषो से कम नही है फिर भी हम महिलाओं को कम करके आंकते है। मैने तो यहां 70% महिलाएं और 30% पुरूषो को काम करते देखा है...
हमारे देश मे ये मजदूर कोई और नही ब्लकि गांवो से विस्थापित किसान है जो कृषि मे घाटे के चलते शहरो की तरफ पलायन कर गया है और आज इन मजदूरो की स्थिति बद से बदतर है पता नही बडे-बडे महानगरों मे कितने ऐसे #किसान_मजदूर आपको सडको और झुग्गियों मे जीवन यापन करते मिल जाऐगा। इससे अच्छी तो हमारी कृषि मे परंपरागत व्यवस्थाएं थी कम से एक खेत से किसान अपने सारे परिवार का जीवन यापन तो कर लेता था परन्तु आज की आधुनिक व्यवस्थाओं ने किसान को #बेसहारा_मजदूर बना दिया है।-सोनू शर्मा
:- नोट:- कभी भारत मे खेती करना सबसे उत्तम काम समझा जाता था पर आज किसान खेती छोडकर मजदूरी करना उत्तम काम समझा जा रहा है। हम किस दिशा मे बडे है इसका रूककर आंकलन करने की आवश्यकता है।