गरीबों-मजलूमों के नौजवान सपूतों!
उन्हें कहने दो क्रांतियां मर गयीं
जिनका स्वर्ग है इसी व्यवस्था के भीतर
तुम्हे तो इस नर्क से बाहर निकलने के लिए
बंद दरवाजों को तोड़ना ही होगा,
आवाज उठानी ही होगी
इस निज़ामे कोहना के खिलाफ।
यदि तुम चाहते हो
आजादी, न्याय, सच्चाई, स्वाभिमान
और सुंदरता से भरी जिंदगी,
तो तुम्हे उठना ही होगा।
नए इंकलाब का परचम फिर से!
उन्हें करने दो 'इतिहास का अंत'
और 'विचारधारा के अंत' के अंतहीन बकवास।
उन्हें पीने दो पेप्सी और कोक
और थिरकने दो माइकल जैक्सन की उन्मादी धुनों पर,
तुम गाओ प्रकृति की लय पर जिंदगी के गीत।
तुम पसीने, खून, मिट्टी और रौशनी की बातें करो।
तुम बगावत की धुनें रचो।
तुम इतिहास के रंगमंच पर,
एक नए महाकाव्यात्मक नाटक की तैयारी करो।
तुम उठो, एक प्रबल वेगवाही
प्रचण्ड झंझावात बन जाओ।