गुजरात में एक नेता हैं.....जो विधायक का वेतन भी नहीं लेते हैं....सरकारी बस से या पैदल चलते हैं
सड़क पर थैला ले कर कचरा उठाते हुए भी दिख जाते हैं........1995 में निर्दलीय लड़े थे और काँग्रेस भाजपा सहित सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी
बेहद ईमानदार और कर्मठ व्यक्ति हैं....दिन-रात समाजसेवा में लगे रहते हैं......सादा जीवन उच्च विचार ही जीवन का आदर्श है
छह बार लगातार विधायक रहे.....ऐसा व्यक्ति चुनाव हार सकता है क्या ??
आरक्षण का लोभ इतना बड़ा फैक्टर था कि महेंद्र मशरू 6084 वोट से हार गए
समझदार वोटरों की समझदारी का एक उदाहरण ऐसा भी है