महावीर गंज भिंड की मुख्य सड़क
इस सड़क को देखकर विकास के नाम पर राजनीति करने वाले लोग खुश हो सकते हैं और विकास के नाम पर सीमेंट कंक्रीट और चमचमाती हुई लाइटें विधिवत डिवाइडर से खुश होने वाले लोग भी गौरव का अनुभव कर सकते हैं महावीर गंज की यह सड़क अपने आप में बहुत सुंदर बन गई है लेकिन इस सुंदरता की बलिवेदी पर सैकड़ों वर्ष पुराने बड़े-बड़े वृक्ष शहीद हुए हैं और उन पर पनपने वाले तमाम पक्षी और उनके घोंसले भी नष्ट हुए है। विकास की इस अवधारणा में हम मनुष्य को अधिक से अधिक सुविधाएं पहुंचाने के हेतु से अन्य जीव जंतुओं की चिंता भूल जाते हैं यह रोड भी इतनी ही सुंदर बन सकती थी यदि हमने अपने सामने पर्यावरण को प्रमुख मुद्दा रखा होता तो हरे भरे पेड़ भी जिंदा रहते और अच्छी सड़क बन सकती थी पर पर्यावरण हमारी चिंता का विषय ही नहीं है इसलिए पूरे भिंड में इसी प्रकार का विकास हो रहा है भिंड से ग्वालियर की सड़क पर भी लाखों हरे भरे पेड़ काट दिए गए और जिन ठेकेदारों को वहां पर पुनः वृक्षारोपण करना था आज एक घास का तिनका भी नहीं रोपा ा गया है हम यदि इसे ही विकास मानते हैं तो निश्चित तौर पर यह कहना ही पड़ेगा कि यह विकास तो पागल है जब हमारे पीने के लिए पानी नहीं होगा छायादार वृक्ष नहीं होंगे तो ऐसी सड़क पर हम कितनी देर चल पाएंगे रह पाएंगे पर्यावरण के साथ में रखकर विकास हो तुम मेरे अभिमत में ज्यादा उपयोगी होगा