संजीव जैन's Album: Wall Photos

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शाबाश चंद्रबाबू नायडू... Ji...

पिछले कुछ वर्षों में बहुत सारे मंदिरों में यह "मूर्खता" बढ़ चली है कि 31 दिसम्बर को मंदिरों में विशेष साज-सज्जा की जाती है.... इसका कारण किसी को भी नहीं पता. ना तो एक जनवरी को कोई हिन्दू तिथि है, ना ही अंग्रेजी नववर्ष के अंतिम दिन या पहले दिन पंचांग में किसी हिन्दू उत्सव का वर्णन है... फिर खामख्वाह इन दोनों दिनों में मंदिरों में विशेष सजावट क्यों की जानी चाहिए?

आंध्रप्रदेश सरकार ने तेलुगु नववर्ष अर्थात "उगादि" (गुड़ी पड़वा) के दिन मंदिरों के लिए विशेष फण्ड जारी करने का फैसला किया है. हिंदुओं के "मानसिक जाले" धीरे-धीरे ही साफ़ होंगे... इतना जरूर है कि यदि इस सफाई की शुरुआत, प्रशासन के शीर्ष पर बैठा सत्ता-साधन सम्पन्न व्यक्ति करे तो प्रक्रिया में तेजी आ जाती है...

31 दिसम्बर और 1 जनवरी के दिन मंदिरों में हमेशा की तरह "सामान्य गतिविधियाँ" जारी रहें... लेकिन कोई विशेष दिखावा या अनावश्यक खर्च करने की जरूरत नहीं है... इन दोनों ही दिनों का "हिन्दू सनातन धर्म" से कोई सम्बन्ध नहीं है.