"कोहरा ओर उजाला"31 दिसंबर शांति को दोनों बच्चो की जिद के आगे झुकना पडा बहुत दिनो से बाहर खाने को कह रहे थे पति की मृत्यु के बाद एक सीमित आय मे यूं खर्चा कष्टदायी था मगर बच्चो की जिद कितने महीनों से टालमटोल ,बाहर खाने को गये मगर वही होटल के बाहर जूठन मे खाना बटोरती बुजुर्ग देखी मन विचलित हुआ वापसी मे दोनों बच्चे खुश थे मगर जो आटो किया उसका डा्इवर फटे स्वेटर मे देख पूछा तो बोला गुजारा नही होता इसीलिए ...फिर सडक पर कई बच्चे गत्ते बिछाकर सोते दिखे इतने कोहरे ओर ठंड मे ...ध्यान टूटा घर आ चुका था आटो वाले को रोककर चाय पीने कहकर अंदर चली गई दोनों बच्चो को शांति बोली-बेटा जो कपडे स्वेटर तुम्हें नही पहनने या छोटे पडे हो तुरंत लेकर आओ खुद अलमारी से दो कम्बल लेकर आई आटो वाले चाय सहित कपडे देकर बोली-जितनी ईमानदारी से मेरे बच्चो ने दिये वैसे इनमें एक आप रख लेना बाकी सडको पर सोये बुजुर्ग बच्चो को बांट देना ,ठंड मे मिले कपडे देखकर आटो वाले को लालच आया बजाय वापसी के घरको आटो घुमाया घना कोहरा था अचानक एक ट्रक आया खुदको बचाते एक फुटपाथ से जा टकराया देखा कुछ लोग बुजुर्ग के इर्द गिर्द खडे थे शायद मर गया ठंड मे अचानक अपने पुराने दिन याद आये एक कम्बल लिया उस बुजुर्ग को उडा दिया चमत्कार हुआ बुजुर्ग मे जैसे जान पड गई दोनों हाथ जोड़कर भरी आँखों से धन्यवाद करता देख आटो वाला ऊपर देखकर बोला-प्रभु बचा लिया पाप करने से ..फिर बचे कपडे स्वेटर कम्बल सब सडको पर सोये बुजुर्ग बच्चों को देकर अपने काम पर लग गया सडको पर घना कोहरा था मगर मन मे दया करुणा का उजाला ...
दोस्तों आप भी ऐसे अच्छे कामों को कर सकते है अपने घरों मे पुराने नापसंद कपडे ऐसे गरीब बुजुर्ग बच्चो को दीजिए किसी का जीवन बच जाएगा जो आपके लिए बेकार कपडे है किसी की जरूरत बन सकते है...