सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम जजों का वक्तव्य तस्दीक करता है कि देश 1975 के आपात्काल, 1992 के राम-बाबरी मस्जिद विध्वंस, 2002 के गुजरात दंगों से ज्यादा विश्वास -संकट के दौर से गुजर रहा है। आजाद भारत में पहली बार सार्वजनिक तौर पर देश के सबसे बड़े न्यायालय की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं, जो लोकतंत्र के लिए भयावह संकेत है।